चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने बीते बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी द्रमुक आध्यात्मवाद के खिलाफ नहीं है लेकिन वह राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का इस्तेमाल करने का विरोध करती है। जी दरअसल स्टालिन का कहना है कि, 'धर्म पर टिके रहने वाले कुछ लोगों का कहना है कि द्रमुक सरकार धर्म के खिलाफ है। लेकिन ऐसा नहीं है।' इसी के साथ उन्होंने कहा कि, 'द्रमुक अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पिछले साल अपने गठबंधन को शानदार जीत दिलाई थी।'
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जी दरअसल मुख्यमंत्री स्टालिन हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के तत्वावधान में आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे। वहीं इस दौरान उन्होंने अपने विरोधियों पर उनकी छवि खराब करने के लिए दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया। इसी के साथ उन्होंने कहा, 'अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए धर्म का इस्तेमाल करने वाले लोगों का आरोप है कि शासन का द्रविड़ मॉडल धर्म और विश्वासों के खिलाफ है। मैं इस बात को फिर दोहराना चाहता हूं कि द्रमुक अध्यात्मवाद के खिलाफ नहीं, बल्कि उन लोगों के खिलाफ है जो अपने स्वार्थी राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने के लिए धर्म का इस्तेमाल करते हैं।'
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इसके अलावा स्टालिन ने आगे कहा, 'जो लो तमिलनाडु में धर्म की संस्कृति को जानते हैं, वे ही इस बात को समझेंगे।' इसी के साथ मुख्यमंत्री ने दावा किया कि, 'उन्हें इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना पड़ा है क्योंकि सोशल मीडिया पर उनके भाषण को तोड़ मरोड़ पेश किया गया और यह धारणा बनाने की कोशिश की गई कि उन्होंने धर्म के खिलाफ बात की है।' इसी के साथ मुख्यमंत्री ने कहा कि, 'यह द्रमुक सरकार का कर्तव्य है कि वह अरुत्पेरुन्जोति रामलिंगा आदिगलर या वल्लालर की जयंती को परोपकार दिवस के रूप में मनाए। इन संतों ने जाति और धर्म के आधार पर हुए भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाया था।'
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