सनातन धर्म में प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। छठ पूजा का आरम्भ नहाए खाय से होता है तथा अगले दिन खरना मनाया जाता है। छठ पूजा का त्योहार बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित देश कई भागों में धूमधाम के साथ मनाते हैं। मान्यता है कि छठ पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली का आगमन होता है। वहीं, इस वर्ष नहाए खाए के साथ यानि 17 नवंबर से लोकआस्था का महापर्व आरम्भ हो रहा है जो कि 20 नवंबर तक चलेगा। आपको बता दें कि सूर्य को कुंडली में आत्मा तक का कारक माना गया है. कहते हैं सूर्य देव को अर्घ्य देने से हर तरह का कष्ट दूर होता है. हालाँकि अर्घ्य देने के कुछ विशेष नियम हैं, जिन्हें जान लेना बेहद जरूरी है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि सूर्य देव को अर्घ्य देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन चीजों की मनाही है.
भूलकर भी ना करें ये गलतियां:-
1. सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए तांबे के पात्र का इस्तेमाल करें, स्टील, प्लास्टिक और कांच की बोतल का इस्तेमाल न करें.
2. सूर्य देव को अर्घ्य देने के चलते जल के पात्र को दोनों हाथों से पकड़कर सिर के ऊपर से जल दें.
3. अर्घ्य देते समय पात्र में अक्षत और लाल रंग के पुष्प रखे.
4. सूर्य को अर्घ्य देते समय ध्यान रखें, कि जल के छीटे आपके पैरों पर नहीं पड़ें.
5. सूर्यदेव को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए. जल अर्पित करते समय सूर्य की किरणें उस धार में दिखनी चाहिए.
6. सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्रों का जाप करना चाहिए.
7. हर दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से परिवार के सदस्य निरोग रहते हैं.
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