PCOS की परेशानी को न समझें आम...नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान

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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) एक जटिल हार्मोनल विकार है जो न केवल प्रजनन स्वास्थ्य को बाधित करने का काम करती है, बल्कि महिलाओं में हृदय संबंधी जोखिम भी बढ़ा देता है. सौभाग्य से, यूरोपियन जर्नल ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी एंड रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, पारंपरिक चीनी चिकित्सा में एक प्रमुख घटक दालचीनी इन जोखिमों को कम करने की कुंजी भी बन सकती है.

इतना ही नहीं दालचीनी के सेवन से PCOS से पीड़ित महिलाओं के शरीर का वजन काफी हद तक कम होन लग जाता है. 8 सप्ताह तक चले एक अध्ययन से पता चला है कि दालचीनी के नियमित सेवन से वजन में उल्लेखनीय कमी भी देखने के लिए मिली है. जिससे यह किसी भी वजन प्रबंधन योजना के लिए एक उत्कृष्ट अतिरिक्त बन चुका है. PCOS और इंसुलिन प्रतिरोध एक साथ चलते हैं. इंसुलिन प्रतिरोध की वजह से रक्त में इंसुलिन का स्तर बढ़ने लग जाता है . जिससे अंडाशय में एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का अधिक उत्पादन भी देखने के लिए मिल सकता है. जिससे अनियमित मासिक धर्म, मुंहासे और बालों का झड़ना जैसे पीसीओएस के लक्षण बढ़ सकते हैं। दालचीनी इसका मुकाबला इस प्रकार करती है.

अध्ययनों से इस बात का भी पता चला है कि दालचीनी का पूरक आहार उपवास के दौरान रक्त शर्करा के स्तर को 10-29% तक कम कर देता है. जो PCOS और इससे संबंधित जटिलताओं के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कदम भी हो सकता है. इतना ही नहीं PCOS से पीड़ित महिलाओं में अक्सर एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) का स्तर बढ़ जाता है और एचडीएल (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) का स्तर तेजी से कम होन लग जाता है. जिससे हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ने लग जाता है. यूरोपियन जर्नल ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी एंड रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी में प्रकाशित अग्रणी अध्ययन के अनुसार, दालचीनी में निम्नलिखित गुण पाए गए हैं.

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से होने वाली बीमारियाँ: PCOS सिर्फ अंडाशय को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह पूरे शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। यहां कुछ मुख्य समस्याएं और बीमारियाँ दी गई हैं जो PCOS से जुड़ी हो सकती हैं:

1. अनियमित मासिक धर्म: PCOS के सबसे सामान्य लक्षणों में से एक है मासिक धर्म का अनियमित होना। महिलाओं को कभी-कभी बहुत कम या बहुत अधिक रक्तस्राव हो सकता है। यह असंतुलित हार्मोन के कारण होता है, और इसका असर ओव्यूलेशन पर भी पड़ता है।

2. फर्टिलिटी समस्याएँ: PCOS के कारण ओव्यूलेशन में समस्या हो सकती है, यानी अंडाणु का सही समय पर निकलना और गर्भधारण के लिए तैयार होना प्रभावित हो सकता है। यह महिला में गर्भधारण की समस्या उत्पन्न कर सकता है। PCOS से ग्रस्त महिलाएं गर्भधारण में कठिनाई का सामना कर सकती हैं, और इसे अविकसित अंडाशय (Anovulation) भी कहा जाता है।

3. हाइपरएंड्रोजेनीज्म : इसमें शरीर में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का स्तर बढ़ जाता है। इससे चेहरे, पेट और शरीर के अन्य हिस्सों में बालों का बढ़ना (हिरसुटिज्म) और त्वचा पर मुँहासे (एक्ने) जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

4. मोटापा: PCOS से प्रभावित महिलाओं में मोटापा भी एक सामान्य समस्या हो सकती है। शरीर में अधिक इंसुलिन का उत्पादन होता है, जिससे वजन बढ़ने की संभावना अधिक होती है। यह मोटापा पेट के आसपास जमा हो सकता है और इसे इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) के साथ जोड़ा जा सकता है।

5. इंसुलिन रेजिस्टेंस: PCOS से ग्रस्त महिलाओं में शरीर के कोशिकाओं का इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया कम हो जाती है। इसका मतलब है कि शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता, जिसके परिणामस्वरूप ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है। इससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।

6. अवसाद (Depression) और चिंता (Anxiety): हार्मोनल असंतुलन, शरीर में बदलाव और अन्य शारीरिक लक्षणों के कारण महिलाएं मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर सकती हैं। PCOS से प्रभावित महिलाओं में अवसाद और चिंता की समस्याएं अधिक देखी जाती हैं।

7. हृदय और रक्तवाहिनियों की बीमारियाँ (Heart Disease and Cardiovascular Risk): PCOS से महिलाओं में हृदय रोग और रक्तवाहिनियों से संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है, खासकर अगर उन्हें मोटापा, उच्च रक्तचाप, और उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो। यह हृदय रोग के विकास का कारण बन सकता है।

8. हाइपरटेंशन (High Blood Pressure): PCOS से प्रभावित महिलाओं में उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) का खतरा बढ़ सकता है। यह आमतौर पर मोटापे और इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण होता है।

9. एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial Cancer): यदि महिलाएं लंबे समय तक बिना मासिक धर्म के रहती हैं, तो एंडोमेट्रियम (गर्भाशय की अंदरूनी परत) में असामान्य वृद्धि हो सकती है, जिससे एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। यह इसलिए होता है क्योंकि बिना ओव्यूलेशन के अंडाशय में एक लंबा समय तक उच्च हार्मोन का स्तर बना रहता है।

10. नींद की समस्याएं (Sleep Apnea): PCOS से ग्रस्त महिलाओं में नींद से संबंधित समस्याएं भी देखी जा सकती हैं, जैसे स्लीप एपनिया। इसमें सोते समय सांस लेने में रुकावट आती है, और नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

11. त्वचा समस्याएँ (Skin Issues): PCOS के कारण शरीर में पुरुष हार्मोन का स्तर बढ़ सकता है, जिससे त्वचा पर मुँहासे (एक्ने), दाग-धब्बे, और तैलीय त्वचा जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

अल्सर (Alopecia): PCOS से ग्रस्त महिलाएं अक्सर बालों के झड़ने की समस्या का सामना करती हैं, जो आमतौर पर सिर के ऊपर के हिस्से में होता है।

12. अंडाशय की सूजन और सिस्ट्स (Ovarian Cysts): PCOS में अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट्स बन जाते हैं, जो अंडाशय को सामान्य रूप से कार्य करने से रोक सकते हैं। हालांकि, अधिकांश सिस्ट्स दर्दनाक नहीं होते, लेकिन कभी-कभी ये सिस्ट्स अंडाशय के फटने या रक्तस्राव का कारण बन सकते हैं, जिससे दर्द और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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