इस वर्ष भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि सोमवार, 02 सितंबर को पड़ रही है। इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाएगा, जो विशेष रूप से पितरों के प्रति श्राद्ध कर्म करने का शुभ दिन माना जाता है। इस दिन पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सुख-समृद्धि का कारण बन सकता है। लेकिन अमावस्या के दिन कुछ नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा इसके विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं।
अमावस्या के दिन पालन करने योग्य नियम
आध्यात्मिक अनुशासन:
अमावस्या के दिन साधकों को जप, तप, और व्रत का पालन करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन भी आवश्यक है। इन नियमों की अनदेखी करने पर पितर नाराज हो सकते हैं, जिससे जीवन में नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं।
आहार में संयम:
अमावस्या के दिन तामसिक भोजन, जैसे लहसुन, प्याज, मांस और मदिरा, से परहेज करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, चना, मसूर दाल, सरसों का साग, और मूली का सेवन भी वर्जित माना जाता है।
धार्मिक और पौराणिक मान्यताएँ:
सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी को छूना या जल अर्पित करना भी वर्जित है। ऐसा करने से देवता रुष्ट हो सकते हैं।
सावधानी बरतें:
इस दिन श्मशान घाट या सुनसान जगहों पर जाने से बचना चाहिए, क्योंकि अमावस्या पर नकारात्मक शक्तियाँ अधिक प्रबल होती हैं। किसी का अनादर करने, क्रोध करने, या किसी जीव को परेशान करने से भी बचना चाहिए, अन्यथा इसके नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।
सोमवती अमावस्या के दिन इन नियमों का पालन करके आप अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।