भगवान शिव के प्रमुख गणों में से एक है नंदी। जी हाँ, कहा जाता है नंदी जी कैलाश पर्वत के द्वारपाल भी हैं और उनका एक स्वरूप महिष भी है। जी दरअसल महिष को बैल भी कहा जाता है। जैसा की आप सभी जानते ही होंगे जब भी हम शिव मंदिर में जाते हैं तो शिवलिंग के सामने कुछ दूरी पर नंदी महाराज विराजमान रहते हैं। यह हमेशा तथा हर शिव मंदिर में होता है। महादेव के साथ नंदी की पूजा आवश्यक मानी जाती है।
अक्सर कई लोग सीधे मंदिर में चले जाते हैं और शिवलिंग की पूजा करके चले जाते हैं, हालाँकि शिवजी के साथ नंदी की पूजा भी करना जरूरी है अन्यथा शिवलिंग की पूजा का पुण्य प्राप्त नहीं होता है। आप सभी को बता दें कि बैल की पूजा या कथा विश्व के सभी धर्मों में मिल जाएगी। दरअसल, शिव जी ने ही नंदी को वरदान दिया था कि जहां उनका निवास होगा वहां नंदी भी हमेशा विराजमान रहेंगे।
वही इस कारण हर शिव मंदिर, शंकर परिवार के साथ-साथ नंदी भी विराजमान होते हैं। इस वजह से आप जब भी मंदिर जाएं तो शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद नंदी की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं उसके पश्चात आप नंदी महाराज की आरती करें और आरती करने के पश्चात आप चुपचाप बिना किसी से बातचीत किए अपनी मनोकामना नंदी महाराज के कानों में बोल दीजिए। ध्यान रहे मनोकामना बोलने के बाद बोलें कि 'नंदी महाराज हमारी मनोकामना पूरी करो।'
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