हिन्दू धर्म में विवाह को बहुत ही महत्वपूर्ण व शुभ माना जाता है इसी वजह से विवाह के पूर्व कई प्रकार की चीजों का विशेष ध्यान रखा जाता है जैसे शुभ महूर्त, रीती-रिवाज, परंपरा आदि. विवाह के पश्चात स्त्री को घर की लक्ष्मी का दर्जा दिया जाता है वह अपने परिवार को एक सूत्र में बांधकर चलती है. और समाज व अपने परिवार के लिए एक आदर्श बहु साबित होती है. किन्तु कई बार कोई स्त्री अज्ञानतावश या जानबूझकर कुछ ऐसे कार्य कर बैठती है जिसके कारण समाज में उसे लज्जित होना पड़ता है व परिवार में भी उसका अपमान होता है इसलिए एक विवाहित स्त्री को अपने सभी कार्य बहुत ही सोच समझकर करना चाहिए. हमारे शास्त्रों में एक सुहागन स्त्री के कुछ ऐसे कार्य बताय गए है जो उन्हें नहीं करना चाहिए तो आइये जानते है कौन से है वह कार्य है?
1. अधिक देर दूसरे के घर में रहना – एक विवाहित स्त्री को किसी भी दूसरे व्यक्ति के घर अधिक देर नहीं रुकना चाहिए और न ही बिना कारण किसी के घर बार-बार जाना चाहिए. ऐसा करने से समाज में इन स्त्रियों को गलत नजरिये से देखा जाता है और इससे इनके मान प्रतिष्ठा की हानि होती है.
2. अपनो का अनादर करना – विवाहित स्त्री को हमेशा अपने परिवार के बड़े व्यक्तियों का आदर करना चाहिए यदि आपको उनकी कोई बात बुरी भी लग जाती है तो अपने आप को शांत रखना चाहिए.
3. बुरे व्यक्तियों से दूर रहें – एक विवाहित स्त्री को ऐसे किसी भी व्यक्ति से संबंध नहीं रखना चाहिए जो बुरे कार्य करता है या जिसका चरित्र बुरा होता है ऐसे व्यक्ति से संबंध रखने पर ये कभी भी आपको हानि पंहुचा सकते है.
4. अपने पति से अधिक समय दूर न रहें – शास्त्रों में कहा गया है की किसी भी विवाहित स्त्री को अपने पति से अधिक दिनों तक दूर नहीं रहना चाहिए. ऐसा करने से उसे समाज में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
5. अपने घर की बात किसी को नहीं बताना चाहिए – विवाहित स्त्री के लिए उसका परिवार ही सर्वोपरि होता है उसे अपने परिवार की कोई भी बात बाहर के किसी भी व्यक्ति से नहीं कहना चाहिए.
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