शिव को प्रसन्न करने के लिए करे प्रदोष उपवास

शिव को प्रसन्न करने के लिए करे प्रदोष उपवास
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प्रदोष का सबसे बड़ा महत्व है कि सोम को, कृष्णपक्ष में प्रदोषकाल पर्व पर भगवान शंकर ने अपने मस्तक पर धारण किया था. यह सोम प्रदोष के नाम से जाना जाता है. उपासना करने वाले को एवं प्रदोष करने वाले को सोम प्रदोष से व्रत एवं उपवास प्रारंभ करना चाहिए. प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को को शांत रखता है.  

प्रदोष काल में स्नान करके मौन रहना चाहिए, क्योंकि शिवकर्म सदैव मौन रहकर ही पूर्णता को प्राप्त करता है. इसमें भगवान सदाशिव का पंचामृतों से संध्या के समय अभिषेक किया जाता है. प्रदोष माह में दो बार यानी शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष की बारस अथवा तेरस को आता है. प्रदोष का व्रत एवं उपवास भगवान सदाशिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. 

शिवपुराण में उल्लेख मिलता है कि शिव के एक अंग से श्रीहरि विष्णु, एक अंग से ब्रह्माजी और शिव के मस्तकरूपी तीसरे नेत्र से महेश, इस प्रकार से इन सबको अपना-अपना दायित्व सौंपकर स्वयं भगवान भभूत रमाए ध्यान रहते हैं. भगवान शिव रिद्धि-सिद्धि, सुख-समृद्धि के दाता हैं. ऐसे शिव को बारंबार प्रणाम करे.

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