दशहरा हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, दशहरा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार दशहरा 24 अक्टूबर, मंगलवार को मनाया जाएगा. दशहरे का त्यौहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है. दशहरा को विजयदशमी के नाम से जाना जाता है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन प्रभु श्री राम ने लंकापति रावण का वध करके माता सीता को उसके चुंगल से आजाद कराया था. इसी वजह से इस दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला जलाया जाता है. आज आपको बताएंगे दशहरा में किस आरती का पाठ करना चाहिए
दशहरा की आरती:-
श्री रामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम्
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्
कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरम्
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक-सुतानरम्
भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्य-वंश-निकंदनम्
रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनम्
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणम्
आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खर-दूषणम्
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन रंजनम्
मम् हृदय-कंज-निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनम्
आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥
पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥
दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥
चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥
पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥
विजयादशमी मंत्र:-
‘ओम दशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात’
दशहरा मंत्र:-
राम रामाय नम:- ॐ अपराजितायै नमः- पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना।
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