आज 17 अक्टूबर 2023, सोमवार को शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा, अर्चना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि माता चंद्रघंटा की पूजा से ना केवल भय से मुक्ति प्राप्त होती है, बल्कि साहस और शक्ति में भी अपार वृद्धि होती है. नवदुर्गा के इस स्वरूप की उपासना से इंसान जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है. देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना जाता है. कहा जाता है मां चंद्रघंटा शेरनी की सवारी करती हैं। वहीँ माता का शरीर सोने के समान चमकता है तथा उनकी 10 भुजाएं है। उनकी चार भुजाओं में त्रिशूल, गदा, तलवार,और कमंडल है वहीं, पांचवा हाथ वर मुद्रा में है। वहीँ, मां की अन्य भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला हैं और पांचवा हाथ अभय मुद्रा में है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं माता चंद्रघंटा को चढ़ाएं जाने वाले विशेष प्रसाद और उपाय के बारे में...
मां का विशेष प्रसाद
देवी उपासना में कई चीजें विशेष होती है- जैसे उनके मंत्रों का जाप, शुद्धि, सात्विकता. किन्तु हर देवी के हर स्वरूप की पूजा में एक अलग प्रकार का भोग चढ़ाया जाता है. कहते हैं भोग आपका देवी मां के प्रति समर्पण का भाव दर्शाता है. मां चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना शुभ होता है. प्रसाद चढ़ाने के पश्चात् इसे स्वयं भी ग्रहण करें और दूसरों में बांटें.
साहस एवं आत्मविश्वास पाने के उपाय
नवरात्रि के तीसरे दिन रात्रि में माता चंद्रघंटा के सामने बैठें. लाल वस्त्र पहनें तो अति उत्तम होगा. माता को लाल फूल तथा लाल वस्त्र अर्पित करें. नवार्ण मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें. जाप के बाद लाल वस्त्र को अपने पास सुरक्षित रख लें.
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