सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन को प्रभु श्री विष्णु एवं माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। यह दिन देवताओं के लिए भी एक विशेष उत्सव का दिन माना गया है, जिसमें वे गंगा के तट पर दीपों से जगमगाते हुए देव दीपावली का पर्व मनाते हैं। इस दिन स्नान, दान, पूजा-पाठ और दीपदान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पापों का नाश होता है। वही इस बार कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा। ऐसे में आइये आपको बताते है इसकी पूजा विधि और इस दिन क्या करना चाहिए....
कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि
कार्तिक पूर्णिमा के दिन का आरंभ शुद्ध मन से होना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठें तथा स्नान करके घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और यदि संभव हो, तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें। एक पवित्र स्थान पर प्रभु श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। भगवान विष्णु को गंध, पुष्प, फल, और वस्त्र अर्पित करें, और माता लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें। फिर देसी घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें और उनके मंत्रों का जाप करें। व्रत कथा का पाठ करके दान करने की भी प्रथा है। इस दिन गरीबों में वस्त्र, भोजन और धन का दान करना अति शुभ माना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा पर किए जाने वाले कार्य
कार्तिक पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष धार्मिक कार्य किए जाते हैं:
स्नान: इस दिन पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करने का विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं।
दान: इस दिन अन्न, वस्त्र, धन और जरूरतमंदों को दान करना अति शुभ माना जाता है।
दीपदान: कार्तिक पूर्णिमा पर दीप जलाकर उसे गंगा या अन्य पवित्र जल में प्रवाहित करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा: इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से समृद्धि और खुशहाली की प्राप्ति होती है।
व्रत: कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से मानसिक और शारीरिक शुद्धता प्राप्त होती है।
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