सनातन धर्म में सभी संकष्टि चतुर्थी तिथियों की बेहद विशेष अहमियत होती है। यह तिथि प्रथम पूज्य देवता भगवान गणेश को समर्पित होता है। आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस विधिपूर्वक प्रभु श्री गणेश की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं तथा कष्ट दूर होते हैं साथ ही धन और समृद्धि में भी वृद्धि होती है। वही इस बार 7 जून को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। ब्रह्मा और महालक्ष्मी योग बन रहे हैं।
अपनाएं ये उपाय:-
* पूजा के चलते प्रभु श्री गणेश को मोदक एवं गुड़ का भाव अवश्य लगाएं। ऐसा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
* 17 दूर्वा घास को ॐ गण गणपतए नमः मंत्र के जाप के साथ प्रभु श्री गणेश को अर्पित करें। ऐसा करने से कष्ट दूर होते हैं।
* पूजा के चलते प्रभु श्री गणेश को सिंदूर का तिलक जरूर लगाएं। साथ ही स्वयं भी तिलक लगाकर की पूजा करें।
* पूजा के चलते पुष्प, दीप आदि चढ़ाएं ऐसा। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है। प्रभु श्री गणेश प्रसन्न होते हैं।
* संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात् करें। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
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