प्रत्येक वर्ष जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो खरमास आरम्भ हो जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार खरमास हमेशा मार्गशीर्ष एवं पौष मास के बीच आता है। कहा जाता है कि खरमास के चलते सूर्य कमजोर हो जाते हैं तथा उन्हें मलीन माना जाता है। इस वजह से सूर्य का स्वभाव भी उग्र हो जाता है। क्योकि सनातन धर्म शास्त्रों में सूर्य को खास अहमियत दी गई है, इस वजह से सूर्य के मलीन होने की स्थिति में सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।
वही इस बार खरमास का माह 16 दिसंबर से आरम्भ होने जा रहा है तथा 14 जनवरी तक रहेगा। ये एक माह पूजा पाठ के लिहाज से बहुत बेहतर माना जाता है। इस माह में मुख्य तौर पर प्रभु श्री विष्णु, श्रीकृष्ण एवं सूर्यदेव की पूजा होती है। साथ ही दान, पुण्य आदि की भी खास अहमियत होती है। परम्परा है कि यदि खरमास के माह में कुछ विशेष कार्यों को करने से मनुष्य की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं तथा इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
करे ये काम:-
खरमास के महीने में प्रतिदिन स्नान के पश्चात् उगते सूर्य को जल चढ़ाने से भी भाग्योदय होता है तथा विभिन्न रोग एवं कष्ट दूर होते हैं। इस महीने में गीता का पाठ नियमित तौर पर पढ़ने एवं विष्णु सहस्त्रनाम को पढ़ने से भी बहुत फायदा होता है। इसके अतिरिक्त खरमास के चलते गौदान एवं ब्राह्मण भोजन करवाने से प्रत्येक प्रकार के पाप समाप्त हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक या शहद आदि का सामर्थ्य के मुताबिक दान करना चाहिए।
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