दर्श अमावस्या, जो की इस वर्ष 17 जून को पड़ रही है, यह उत्सव का दिन है। इस दिन पूर्वजों की पूजा करने का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वे अपने परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देने के लिए स्वर्ग से आते हैं। श्राद्ध अमावस्या के नाम से जानी जाने वाली यह विशेष पूजा पितरों के लिए की जाती है। यदि आप इस दिन पितृदोष को समाप्त करना चाहते हैं, तो दान के कार्यों के महत्व को समझना महत्वपूर्ण है।
दर्श अमावस्या का विशेष महत्व है। पितृदोष को दूर करने के लिए इस दिन पितरों को प्रसन्न करने का विशेष महत्व है। दिन की शुरुआत स्नान और तर्पण से करें। इससे परिवार में सुख-समृद्धि और प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। इसके विपरीत जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर है उन्हें दर्श अमावस्या के दिन चंद्रदेव की पूजा करनी चाहिए। इससे घर में सौभाग्य और आर्थिक लाभ होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या एक ऐसा समय होता है। जब भूत और आत्माएं सक्रिय हो जाती हैं, इसलिए नकारात्मक कार्यों में शामिल होने से बचना जरूरी है। इस दिन पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यदि कठिन परिश्रम से सफलता नहीं मिलती है तो इस दिन चंद्रमा की सच्चे मन से पूजा करें जिससे शीघ्र सफलता मिल सकती है।
चंद्रमा को देखने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर अपने पूर्वजों का स्मरण करते हुए निर्धनों को सफेद वस्त्र दान करना चाहिए। ऐसा करने से जातक स्वयं को पितृ दोष से मुक्त कर सकता है और अपने परिवार में सुख शांति का वातावरण बना सकता है।
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