सनातन धर्म में शालिग्राम शिला की पूजन का खास महत्व है। कई घरों में प्रभु श्री विष्णु को शालीग्राम के तौर पर पूजा जाता है तथा उनकी पूजा की खास अहमियत बताई जाती है। कहा जाता है कि जिस घर में पूरे श्रद्धा भाव से शालिग्राम भगवान की पूजा होती है वहां कभी भी अशांति नहीं आती है। यही नहीं शालिग्राम भगवान की नियम से आराधना करना घर की आर्थिक स्थिति के लिए भी अच्छा होता है। शालीग्राम की शिला विशेष तौर पर काले रंग के चिकने पत्थर के समान होती है तथा इसे प्रभु श्री विष्णु का स्वरूप माना जाता है।
शालीग्राम की शिलाएं मुख्य तौर पर सेनेपाल में बहने वाली गंडकी नदी में पाई जाती हैं। मान्यतानुसार गंडकी नदी को तुलसी का रूप माना जाता है। इसी कारण इस नदी में शालिग्राम का यानी प्रभु श्री विष्णु का वास होता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, शालिग्राम भगवान की पूजा बहुत ही नियमों के साथ करनी चाहिए अन्यथा घर में अशांति सुर बर्बादी आती है। वही यदि आपके घर में भी शालीग्राम है तो कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरुरी है।
इन नियमों का करें पालन:-
* तुलसी पत्तियां अर्पित करें
* शालिग्राम की एक ही शिला रखें
* शुद्ध मन से करें पूजा
* मांस मदिरा का सेवन है वर्जित
* नियमित करें पूजन
* पंचामृत से स्नान कराएं
* भोग लगाना है जरूरी
इन नियमों का पालन करते हुए शालिग्राम की पूजा करने से घर की सुख शांति में वृद्धि होने के साथ सभी पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।
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