रमज़ान का महीना बहुत ही पाक माना जाता है और इस महीने को मुसलमानो के लिए सबसे ख़ास माना जाता है क्योंकि यह उनका एक त्यौहार होता है जिसे वह पुरे एक महीने तक मनाते है. रमज़ान मुसलमानो के लिए एक पर्व के समान होता है जो बहुत ही पाक होता है. एक ऐसा पर्व जिसमे केवल अल्लाह का नाम लिया जाना चाहिए, एक ऐसा पर्व जिस दौरान बुरी चींजो से दूर रहना चाहिए. कुरान में सूरह ऐ बकरा की आयात नंबर 185 में अल्लाह ताला के बारे में लिखा हुआ है उसके अनुसार रमज़ान का महीना एक ऐसा महीना होता है जिसमे कुरान को धरती पर उतारा गया था. दूसरी सूरत के अनुसार अल्लाह तला ने यह बताया है कि उन्होंने ही कुरान को शबे क़दर में उतारा है. दोनों आयतों से यह पता चला है कि कुरान को रमज़ान के महीने कि रातों में से ही किसी एक रात में जमीन पर उतारा गया था और उस रात को मुसलमान शबे क़दर की रातो में से एक कहते है.
कहा जाता है कि जब शबे क़दर कि रात होती है तो उस रात में सभी मुसलमानो को दुआ मांगनी चाहिए और उस दुआ में होना चाहिए 'अल्लाहुम्मा इन्नका अफ्फुवुन तुहिब्बुल अफुवा फाफू अन्नी" इस दुआ का मतलब है कि ऐ अल्लाह! बेशक तू मांफ करने वाला है, माफ़ी को तू पसंद करता है, मुझे मांफ फरमा, मैरे गुनाहों को भी मांफ फरमा' रमज़ान के महीने की इस रात को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और इस रात में इबादत करने से बहुत ही अच्छा होता है मनचाही मुराद पूरी होती है.