आपने अक्सर हमारे देश में भी गहरे रंग के, लम्बे और अफ्रीकी प्रजाति जैसे लोग देखे होंगे, उन्हें देखकर हो सकता है आपके मन में यही ख्याल आया हो कि ये किसी दूसरे देश से हैं. लेकिन अगर हम आपसे कहें कि ये लोग हमारे देश के ही हैं, तो क्या आप विश्वास करेंगे ? जी हाँ, ये इलाका गुजरात के जूनागढ़ में है. गुजरात के मशहूर ‘गिर’ जंगल के बीच बसा है सिद्दी आदिवासियों का गांव, जिसे ‘जंबूर’ कहते हैं. इस गांव को 'गुजरात का अफ्रीका' भी कहा जाता है.
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सिद्दी आदिवासी मूल रूप से अफ्रीका के बनतु समुदाय से जुड़ा हुआ है. इतिहासकारों की मानें तो आज से 750 साल पूर्व इन्हें पुर्तगाली गुलाम बनाकर भारत लाया गया था. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि जूनागढ़ के एक पूर्व नवाब ने अफ्रीकी राजकुमारी से शादी की थी और वो राजकुमारी अपने साथ 100 ग़ुलामों को भी लाई थी. जिनका परिवार आज भी जूनागढ़ में निवास करता है.
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इस समुदाय के कुछ लोग इस्लाम को मानते हैं, कुछ ईसाई धर्म को और इस समुदाय की बहुत थोड़ी आबादी हिन्दू धर्म को भी मानती है. इतने साल होने के बाद भी ये लोग अभी तक अफ्रीकी मूल के ही नज़र आते हैं. वजह ये है कि ये लोग दूसरे समुदाय में शादी नहीं करते, शादी को लेकर ये बहुत सख्त होते हैं. आज भी उनकी परंपरा में अफ्रीकी जनजाति की छाप देखने को मिलती है. गिर के जंगलों में जाने वाले पर्यटक इनका पारम्परिक नृत्य देखने भी जरूर जाते हैं.
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