आपको तो पता ही होगा की भगवान शिव की अराधना करने से वह जल्दी प्रसन्न होते है क्या आपने भगवान शिव के उन स्वरूपों के बारे में गौर किया है उनके त्रिनेत्र, उनके हाथो में त्रिशूल, त्रिशूल में डमरू बंधा हुआ, उन्होंने जो शेर की खाल लपेटे हुए है इन सब के बारे में क्या किसी ने सोचा है की इन सब से भगवान भोलेनाथ का क्या सम्बन्ध है. तो चलो जानते है इन सब के बारे में-
वृषभ भगवान शिव के पास जो वृषभ मतलब बैल है उस बैल का नाम नंदी था यह भगवान शिव की सवारी है यह चार पैरो वाला जानवर है इसलिए यह हमेशा भगवान शिव के पास रहता है नंदी-धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का प्रतीक है इसलिए यह भगवान शंकर का अधिक प्रिय भी है आपने अक्सर देखा होगा की जहाँ भगवान शिव की मूर्ति होती है वहां नंदी की भी मूर्ति होती है.
आपने अक्सर सूना होगा की भगवान शिव के शरीर में भस्म लिपटी होती है अर्थात उनका भस्म से अभिषेक किया जाता है शिव जी के भस्म से लिपटा हुआ रहना यही बताता है यह संसार नश्वर है.
बाघ हिंसा और अंहकार का प्रतिक माना जाता है और इसलिए शिव जी ने बाघ की खाल लपेटे हुए है. इसका अर्थ यही है की शिव जी हिंसा और अंहकार को अपने वश में किये हुए है.
शिव जी के गले मे मुंड माला यही दर्शाती है इन्होने मृत्यु को वश में किये हुए है.
तांडव या नृत्य करते समय शिव जी डमरू का वादन करते है और डमरू का नाद ही ब्रह्मा है.
शिवजी के हाथो में त्रिशूल यही दर्शाता है, यह त्रिशूल भौतिक, दैविक, और आध्यात्मिक इन तीनो तापो को नष्ट करता है.
सर्प जैसा हिंसक जीव शिव के अधीन है जिसे शिव जी ने अपने वश में कर रखा है.
शिव जी की तीन आँखे है इसलिए इन्हें त्रिलोकनाथ भी कहते है इनकी ये तीन आंख सत्व, रज, तम, (तीन गुण), भूत, वर्तमान, भविष्य, (तीन काल), स्वर्ग, मृत्यु, पाताल, (तीनो लोक) का प्रतीक है.
चन्द्रमाँ मन का प्रतिक है और शिवजी का मन चाँद की तरह भोला, निर्मल, और उज्जवल है.
शिव की जटाये अन्तरिक्ष का प्रतीक है.
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