फेसबुक का इस्तेमाल विश्व के हर कोने में किया जा रहा है. वही यह विश्व की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट्स में शुमार हो चुकी है. किन्तु जब भी फेसबुक का नाम सामने आता है उसके साथ ही मार्क जुकरबर्ग का नाम भी सामने आ जाता है. और उन्हें ही फेसबुक का संस्थापक माना जाता है. किन्तु हाल ही में फेसबुक से जुड़ा एक ऐसा तथ्य सामने आया है, जिसे सुनकर शायद आपको भी हैरानी होगी.
आपको बता दे कि फेसबुक को दिव्य नरेंद्र नाम के अप्रवासी भारतीय ने कुछ अलग करने की चाहत रखते हुए कड़ी मेहनत से बनाया था. किन्तु वे भारतीयों द्वारा किए गए आविष्कारों को चोरी कर दुनिया में अपने नाम से फैलाने वाली रणनीति का शिकार हो गए.
फेसबुक का जन्म हॉर्वर्ड कनेक्शन सोशल साइट की निर्माण प्रक्रिया के दौरान हुआ था. मार्क जुकरबर्ग इसमें सिर्फ मौखिक सहयोग के लिए शामिल हुए थे, लेकिन जुकरबर्ग ने इसे हाईजैक कर डोमेन को अपने नाम पर रजिस्टर्ड करवा लिया था.
इस घटना के बाद दोनों में तकरार भी सामने आयी और यह मामला 2004 में अमरीका की एक अदालत में भी चला गया था. इस फ्रॉड के बदले में जुकरबर्ग को हर्जाना भी भरना पड़ा और जुकरबर्ग को 650 लाख डॉलर देने पड़े. हालांकि दिव्य इस हर्जाने से दिव्य खुश नहीं थे. उनका कहना था कि उन्हें फेसबुक के शेयरों की उस समय की बाजार कीमत के हिसाब से हर्जाना नहीं मिला. जिसके बाद से ही फेसबुक से दिव्य का नाम गुम नाम हो गया और उसकी जगह मार्क जुकरबर्ग का नाम ही सामने आया.