मुफ्त की रेवड़ी चाहिए या नहीं? दिल्ली में जनता से फीडबैक ले रही AAP

मुफ्त की रेवड़ी चाहिए या नहीं? दिल्ली में जनता से फीडबैक ले रही AAP
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नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और राजनीतिक दल पूरी ताकत से चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने प्रचार अभियान में "रेवड़ी पर चर्चा" नामक एक अनूठी पहल शुरू की है, जिसके जरिए वे अपनी मुफ्त योजनाओं को लेकर जनता का फीडबैक ले रहे हैं। 

"आप" ने दिल्ली की सभी विधानसभा सीटों पर रोज़ाना लगभग 2000 "रेवड़ी पर चर्चा" सभाएं आयोजित कर रही है। इन सभाओं के दौरान पार्टी कार्यकर्ता जनता से सीधे संवाद करते हैं और सरकार की मुफ्त योजनाओं पर उनकी राय जानने का प्रयास करते हैं। पार्टी का दावा है कि इस अभियान में जनता से मिले फीडबैक के अनुसार, 99% लोग चाहते हैं कि मुफ्त बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, महिलाओं के लिए बसों में मुफ्त यात्रा, और बुजुर्गों के लिए तीर्थयात्रा जैसी योजनाएं जारी रहें। 

"रेवड़ी पर चर्चा" के दौरान आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता लोगों से पूछते हैं कि इन मुफ्त योजनाओं से उनके आर्थिक हालात पर क्या प्रभाव पड़ा है। जनता ने खुलकर अपनी राय व्यक्त की, जिसमें ज्यादातर लोगों ने इन योजनाओं को अपने जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाला बताया। कई लोगों ने कहा कि पहले उनकी आय का बड़ा हिस्सा बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे बुनियादी खर्चों में चला जाता था। अब, इन मुफ्त सुविधाओं की वजह से हर महीने 6-8 हजार रुपये की बचत हो रही है, जो उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर बना रही है। 

"आप" सरकार ने हाल ही में 18 साल से अधिक उम्र की हर महिला को 1000 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की है। इसे सरकार की सातवीं बड़ी मुफ्त योजना के रूप में देखा जा रहा है। इस योजना के लिए जल्द ही आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पार्टी कार्यकर्ता इन सभाओं में मिले फीडबैक को अरविंद केजरीवाल तक पहुंचाते हैं, जिसका उपयोग चुनाव प्रचार में किया जा रहा है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि जनता इन योजनाओं को जारी रखने के लिए उत्साहित है और कह रही है, *"फिर लाएंगे केजरीवाल।"* 

आम आदमी पार्टी ने इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी मानती है कि उनकी योजनाएं जनता के बीच लोकप्रिय हैं और इन्हीं के दम पर वे एक बार फिर सत्ता में वापसी करेंगी। इस तरह, "रेवड़ी पर चर्चा" न केवल पार्टी का चुनाव प्रचार है, बल्कि जनता की जरूरतों और उनके अनुभवों को जानने का भी एक माध्यम बन गई है।

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