नई दिल्ली. फार्मा कंपनी अपनी बिक्री को बढ़ाने के लिए डॉक्टरों से सांठ गांठ कर लेते है. बता दे की इस मामले में सरकार शिकंजा कसने वाली है, सरकार बने डॉक्टरों को गिफ्ट देने वाली स्किम की कीमत तय कर दी है और यह कीमत है 1000 रुपए. वहीं दूसरी और ड्रग कंपनियों द्वारा डॉक्टरों के फॉरेन टूर ऑर्गनाइज करने पर भी रोक लगेगी.
बता दे की सरकार फार्मा कंपनियों-डॉक्टरों की मिली-भगत रोकने के लिए फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस के लिए नए सिरे से कोड ऑफ़ कंडक्ट लाने की तैयारी में है. यह कोड तोड़ने पर डॉक्टरों को पेनल्टी भरनी पड़ेगी. सरकार ने बजट में घोषणा की है कि लोगों को सस्ती और अच्छी क्वालिटी की दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. किन्तु यह समस्या बरक़रार है की बहुत से डॉक्टर जेनेरिक की ब्रांडेड दवाएं लिखते हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अधिकतर डॉक्टर द्वारा ब्रांडेड दवाइयां लिखने के कारण से ड्रग कंपनियां दवाइयों को प्रमोट करने के लिए डॉक्टरों पर खर्च करती हैं. इस हिसाब से फार्मा कंपनियां अपनी कुल आय का 5% हिस्सा डॉक्टरों की गिफ्ट पर खर्च करती हैं और इसलिए डॉक्टर सस्ती दवा की बजाए महँगी दवा लिखते है.
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