कोरोना को भारत में हराने के लिए सरकार हम संभव कदम उठा रही है. साथ ही, कोरोना को जम्मू-कश्मीर से भगाने का मकसद स्वास्थ्यकर्मियों की जिद बन चुका है. अस्पतालों में आ रहे मरीजों के इलाज से लेकर घरों, होटलों में क्वारंटाइन कर रखे गए लोगों की नियमित जांच की जा रही है. इसके लिए कहीं भौगोलिक परिस्थितियों के साथ मौसम से भी जंग लड़नी पड़ रही है. शुक्रवार को वादी में बारिश और हिमपात तबाही मचा रहे थे, ऐसे में स्वास्थ्यकर्मियों का दल बर्फ के बीच कई-कई किलोमीटर पैदल चल संदिग्ध मरीजों की जांच करने में जुटे हुए थे.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कश्मीर में इस समय करीब चार हजार लोगों को होटलों व अन्य सार्वजनिक स्थल पर क्वारंटाइन किया गया है. इनमें से बहुत से लोग पहलगाम, सोनमर्ग, गुलमर्ग, कुपवाड़ा, बारामुला, बांडीपोर जैसे इलाकों में रखे गए हैं. इन इलाकों में गुरुवार रात से लेकर रुक-रुक कर हिमपात होता रहा. इसके बावजूद न उनका हौसला डिगा और न ही अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटे. ऐसे क्वारंटाइन केंद्रों में जहां सड़क तक नहीं है, चिकित्सा दल बर्फीले पहाड़ को नापकर पहुंचा.
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वायरस के प्रकोप की वजह से विश्व प्रसिद्ध स्की रिसोर्ट गुलमर्ग में भले ही सैलानी नहीं है पर यहां अलग-अलग होटलों को क्वारंटाइन केंद्र बनाया गया है. सुबह बर्फ के थमते ही स्वास्थ्यकर्मी अपने साजो सामान के साथ इन केंद्रों में बर्फ के बीच पैदल चलते हुए पहुंच गए. यह लोग सिर्फ सुबह ही नहीं आए, शाम को भी आए और क्वारंटाइन केंद्रों में रखे गए प्रत्येक व्यक्ति की जांच में व्यस्त रहे. एक डाक्टर ने कहा कि बात बर्फ या ठंड की नहीं है, यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. वही, क्वारंटाइन केंद्र में रखे गए लोगों के पास जब हम पहुंचते हैं तो उनमें नई उम्मीद जगती है. अगर हम उनकी उपेक्षा करेंगे तो वह किसी नकारात्मक सोच का शिकार हो सकते हैं. यह लोग यहां कोरोना को हराने के प्रयास में हैं और हम नहीं चाहते कि किसी भी लापरवाही से यह हारें.
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