नई दिल्ली: सिक्किम के पास डोकलाम में चीन और भूटान के बीच बॉर्डर को लेकर विवाद चल रहा था. भूटान ने चीन की तरफ से बनाई जा रही सड़क का विरोध किया था, जिसका भारत ने भी खुलकर समर्थन किया था. भूटान और चीन के बीच विवाद के कारण भारत और ड्रैगन के बीच भी तनातनी की स्थिति पैदा हो गई थी. अब भूटान और चीन ने ये विवाद सुलझाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
भूटान और चीन ने बॉर्डर विवाद सुलझाने के लिए बातचीत में तेजी लाने के लिए तीन चरण के रोडमैप पर साइन किए हैं. गौरतलब है कि डोकलाम ट्राई जंक्शन पर भारत और चीन की फौजें 73 दिन आमने-सामने रही थीं. उस समय भारत ने भूटान के दावे का समर्थन किया था. भूटान ने चीन पर उस क्षेत्र में एक सड़क का विस्तार करने का आरोप लगाया था, जो उसका क्षेत्र है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब चीन और भूटान के बीच दस्तखत को लेकर भारत ने संतुलित प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा है कि भूटान और चीन के बीच बॉर्डर विवाद सुलझाने के लिए साल 1984 से वार्ता चल रही है. भारत भी इसी प्रकार से चीन के साथ बॉर्डर को लेकर बातचीत कर रहा है.
हालांकि, अरिंदम बागची ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या भूटान सरकार ने भारत को इस समझौते के बारे में जानकारी दी थी? उन्होंने लेह लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध को लेकर ये अवश्य कहा कि कई जगह दोनों मुल्कों के बीच समझौते हुए हैं. इससे पहले भूटान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा था कि विदेश मंत्री एल टांडी दोर्जी और चीन के उपविदेश मंत्री ने गुरुवार को बॉर्डर को लेकर बातचीत के लिए तीन चरण वाले रोडमैप को लेकर समझौते पर दस्तखत किए हैं.
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