कृष्ण जन्माष्टमी के बाद आने वाली एकादशी को डोल ग्यारस के नाम से जाना जाता है जो आज के दिन यानी 29 अगस्त को मनाई जा रही है. आप सभी को बता दें कि श्रीकृष्ण जन्म के अठारहवें दिन माता यशोदा ने उनका जल पूजन (घाट पूजन) किया था.
वहीँ ऐसा भी कहा जाता है कि जलवा पूजन के बाद ही संस्कारों की शुरुआत हो जाती है और कहीं इसे सूरज पूजा कहा जाता हैं तो कहीं इसे दश्टोन पूजा कहते है. इसके अलावा जलवा पूजन को कुआं पूजा के नाम से जाना जाता है. वैसे आज ही परिवर्तनी एकादशी भी है. तो आइए आपको हम बताते हैं परिवर्तनी एकादशी की 5 खास बातें.
परिवर्तनी एकादशी की 5 खास बातें-
1. कहा जाता है डोल ग्यारस की पूजा और व्रत का पुण्य वाजपेय यज्ञ, अश्वमेघ यज्ञ के तुल्य होता है.
2. कहते हैं इस दिन भगवान विष्णु एवं बाल कृष्ण की पूजा होती है, और इनके प्रभाव के कारण ही सभी व्रतों का पुण्य मनुष्य को मिल जाता है.
3. कहा जाता है इस दिन विष्णु के अवतार की पूजा होती है और इसके अलावा उनकी पूजा से त्रिदेव पूजा का फल भी प्राप्त हो जाता है.
4. कहते हैं युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से प्रश्न किया था कि इस एकादशी को परिवर्तनी ग्यारस क्यों कहते हैं. इस सवाल के उत्तर में श्री कृष्ण ने कहा था इस दिन भगवान विष्णु अपनी शैया पर सोते हुए अपनी करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तनी ग्यारस कहा जाता है.
5. आपको बता दें कि इसी दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप का जलवा पूजन होता है यानी सूरज पूजा. इसके अलावा इस दिन माता यशोदा ने अपने कृष्ण को सूरज देवता के दर्शन करवाकर उन्हें नए कपड़े पहनाए एवं उन्हें शुद्ध कर धार्मिक कार्यों में शामिल किया.
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