स्कंद षष्ठी हर साल हिन्दू धर्म में बहुत ही उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के छठे पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है। कुछ क्षेत्रों में इस तिथि को "स्कन्द षष्ठी" के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन को सूर्यदेव की उपासना का भी विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य की पूजा करने से न केवल रोगों से मुक्ति मिलती है, बल्कि आरोग्य, सुख और समृद्धि की प्राप्ति भी होती है। 2024 में स्कंद षष्ठी की तिथि: इस बार स्कंद षष्ठी का पर्व 9 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा। यह पर्व एक विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए समर्पित है, जो कि भगवान शिव और देवी पार्वती के बड़े पुत्र हैं।
स्कंद षष्ठी का महत्व और पूजा
स्कंद षष्ठी का पर्व विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए मनाया जाता है। कार्तिकेय, जो कि युद्ध और विजय के देवता हैं, को विशेष रूप से रुतबा, साहस और विजय का प्रतीक माना जाता है। उन्हें भगवान शिव और देवी पार्वती का छठा पुत्र माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा से भक्ति, शक्ति और विजय की प्राप्ति होती है।
सूर्यदेव की उपासना का महत्व:
स्कंद षष्ठी के दिन सूर्यदेव की पूजा का भी विशेष महत्व है। सूर्यदेव की पूजा करने से स्वास्थ्य में सुधार, रोगों से मुक्ति, और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। सूर्यदेव की उपासना के माध्यम से व्यक्ति को जीवन में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
स्कंद षष्ठी पर किए जाने वाले दान
स्कंद षष्ठी के दिन विशेष दान का महत्व है। विभिन्न दानों का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है जो निम्नलिखित हैं:
फल (Fruits): फल दान करने से न केवल स्वास्थ्य लाभ होता है बल्कि देवताओं की प्रसन्नता भी प्राप्त होती है। यह दान पूजा की महत्वपूर्ण विधियों में शामिल है।
दूध (Milk): दूध दान करने से व्यक्ति की बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है। यह दान पुण्य की प्राप्ति के साथ-साथ मानसिक शांति और ज्ञान के विकास में सहायक होता है।
दही (Curd): दही दान करने से व्यक्ति की आयु और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। दही का दान स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
अनाज (Grains): गरीबों को अनाज दान करने से अन्नपूर्णा देवी की कृपा प्राप्त होती है। यह दान विशेष रूप से अन्न की प्रचुरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
वस्त्र (Clothes): जरूरतमंदों को वस्त्र दान करने से पापों का नाश होता है। यह दान सामाजिक भलाई और मानवता की सेवा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
धन (Money): धन दान करने से धन में वृद्धि होती है। यह दान आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने और धन की समृद्धि को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
ब्राह्मणों को भोजन (Feeding Brahmins): ब्राह्मणों को भोजन कराने से पितृ दोष दूर होता है और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है जो पितरों की संतुष्टि के लिए की जाती है।
स्कंद षष्ठी व्रत के लाभ
स्कंद षष्ठी का व्रत रखने के कई लाभ होते हैं:
संतान की प्राप्ति: जो लोग संतानहीन हैं, उन्हें इस दिन व्रत रखकर भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय के आशीर्वाद से संतान की प्राप्ति हो सकती है।
धन और वैभव की प्राप्ति: यदि किसी के जीवन में धन और वैभव की कमी है, तो स्कंद षष्ठी का व्रत रखने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
भगवान विष्णु की पूजा: स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस बार स्कंद षष्ठी सोमवार को है, जो भोलेनाथ की पूजा के लिए समर्पित है। यह संयोग पूजा का विशेष महत्व बढ़ाता है।
पिता-पुत्र की पूजा: इस दिन भगवान शिव और स्कंद कुमार (पिता-पुत्र) की पूजा का सुंदर संयोग बनता है। इस पूजा से कार्यों की सफलता की संभावना बढ़ जाती है और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
संतानों की लंबी आयु और शत्रुओं की पराजय: स्कंद षष्ठी का व्रत रखने से संतानों की लंबी आयु की प्राप्ति होती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में मदद मिलती है।
इस प्रकार, स्कंद षष्ठी का पर्व एक विशेष धार्मिक महत्व का पर्व है, जो न केवल धार्मिक आस्था और भक्ति को प्रगाढ़ करता है बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति में भी सहायक होता है।
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