मुंबई: बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर हमले का मामला अब राजनीतिक बहस का मुद्दा बन गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने इस घटना पर बयान देते हुए कहा कि पूरे देश या किसी समुदाय को इस हमले के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने इसे एक व्यक्ति द्वारा किया गया अपराध करार दिया और सैफ अली खान के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। हालांकि, फारूक अब्दुल्ला ने इस हमले में बांग्लादेशी घुसपैठिए की संलिप्तता पर चुप्पी साध ली।
यह हमला मोहम्मद शरीफुल इस्लाम शहजाद नामक एक बांग्लादेशी घुसपैठिए द्वारा किया गया था, जो चोरी के इरादे से सैफ अली खान के घर में घुसा और चाकू से उन पर हमला कर दिया। आरोपी को छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस जांच में पता चला कि वह एक करोड़ रुपये की फिरौती लेकर हमेशा के लिए बांग्लादेश लौटने की योजना बना रहा था। घटना के बाद, सैफ अली खान को पांच दिन तक मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा, लेकिन अब वे स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं। उनके घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है, और एक निजी सुरक्षा एजेंसी को उनके संरक्षण के लिए लगाया गया है।
हालाँकि, इसको लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं कि, आरोपी मोहम्मद शरीफुल आखिर, इतनी सिक्योरिटी होने के बावजूद सैफ के घर की 12वीं मंजिल तक पहुंचा कैसे? और तो और वो सैफ को इतने चाक़ू मारकर आराम से फरार भी हो गया, किसी गार्ड ने उसे नहीं देखा ? सैफ के घर में इतनी गाड़ियां होने के बावजूद उन्हें ऑटो से अस्पताल ले जाया गया ? घटना के वक़्त करीना भी वहीं मौजूद थी, उन्होंने क्या किया? जबकि सैफ की मदद उनके बच्चों की नैनी ने की। वहीं, बांग्लादेश का घुसपैठिया मोहम्मद शरीफुल भी हिन्दू नाम विजय दास के पहचान पत्र के साथ घूम रहा था।
लेकिन, फारूक अब्दुल्ला, इस घटना में बांग्लादेशी घुसपैठ और देश में बढ़ती सुरक्षा चिंताओं पर बात करने से परहेज कर रहे हैं। जब एक घुसपैठिया, इतनी सुरक्षा में घुसकर हमला कर सकता है, तो वो आम भारतीयों के लिए कितना बड़ा खतरा होगा? क्या इसकी चर्चा नहीं होनी चाहिए? इसके साथ ही, अब्दुल्ला ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यह वही फारूक अब्दुल्ला हैं, जो इससे पहले कई बार पाकिस्तान से बातचीत की वकालत कर चुके हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों के बाद भी वे पाकिस्तान की आलोचना करने के बजाय भारत सरकार को पाकिस्तान से बातचीत करने की सलाह देते नजर आते हैं। उनका तर्क है कि जब तक पाकिस्तान से बातचीत नहीं होगी, आतंकवादी हमले नहीं रुकेंगे।
हालांकि, सवाल यह उठता है कि फारूक अब्दुल्ला इतने विश्वास के साथ यह दावा कैसे कर सकते हैं? भारत सरकार का रुख इस मामले में साफ है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद पर लगाम नहीं लगाएगा, उससे किसी भी तरह की बातचीत नहीं होगी।
बता दें कि, पिछले कुछ महीनों से बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ नरसंहार की घटनाएं तेज हो गई हैं। इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाते हुए उनके घर जलाए जा रहे हैं, मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, और उनकी बहन-बेटियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं सामने आ रही हैं। इसके बावजूद, बांग्लादेश से ऐसा कोई मुस्लिम सामने नहीं आया, जिसने इन हिंदुओं की मदद की हो। फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि पूरे बांग्लादेश को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब वहां का बहुसंख्यक समाज इस तरह के अन्याय के खिलाफ खामोश रहता है, तो जिम्मेदारी से खुद को अलग कैसे किया जा सकता है?
यह घटना सैफ अली खान पर हमले से कहीं अधिक बड़ी है। यह देश की सुरक्षा, अवैध घुसपैठ और सीमा पार से आने वाले खतरों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। ऐसे में नेताओं की चुप्पी और विवादित बयान केवल समस्या को और गंभीर बना सकते हैं।