मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 26/11 के घातक आतंकवादी हमले को 15 साल बीत चुके हैं। 26 नवंबर 2008 को दस पाकिस्तानी आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे थे। उन्होंने शहर के दक्षिणी भाग में विभिन्न स्थानों पर हमला किया, जिनमें नरीमन हाउस, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लियोपोल्ड कैफे और ताज पैलेस और ट्राइडेंट जैसे भव्य होटल शामिल थे। आतंकियों ने सार्वजनिक रूप से गोलियां चलाईं और कई लोगों को मार डाला, एक टैक्सी के अंदर बम रखा और उसे मुंबई के उपनगरों में ले गए। अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया और उसके नौ साथियों को 60 घंटे के ऑपरेशन में ढेर कर दिया गया।
गौरतलब है कि 26/11 के आतंकवादी डेविड हेडली ने पूछताछ के दौरान विवादास्पद फिल्म निर्माता महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट का नाम लिया था। आतंकवादी डेविड हेडली के साथ राहुल भट्ट की 'दोस्ती' से संबंधित एक कम चर्चित तथ्य यह है कि 2008 में, उन्होंने राहुल भट्ट को 26/11 को दक्षिण मुंबई न जाने की चेतावनी दी थी। दोनों की पहली मुलाकात 2007 में मुंबई के एक जिम में हुई थी। 2011 में, डेविड कोलमैन हेडली ने शिकागो की एक अदालत को बताया कि उसने भट्ट को 26 नवंबर, मुंबई आतंकवादी हमलों के दिन, दक्षिण मुंबई न जाने के लिए कहा था। हमलों के बाद भी हेडली और राहुल भट्ट ईमेल के जरिए संपर्क में थे। हेडली ने कथित तौर पर अदालत से कहा कि वह "कभी इतना खुश नहीं हुआ", हालांकि कहा गया कि उसने राहुल भट्ट को "माफ करना" लिखा था। आतंकवादी डेविड हेडली ने अदालत को बताया था कि वह राहुल भट्ट को पसंद करने लगा है और उसने उसके साथ एक फिल्म बनाने की योजना बनाई है।
हेडली ने शिकागो कोर्ट को बताया था कि उसका इरादा भट्ट को पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी (ISI) के एजेंट के रूप में भर्ती करना और उसे पाकिस्तान के आदिवासी इलाकों में ले जाना था, लेकिन उसका अपहरण या हत्या करना नहीं था, जैसा कि बचाव पक्ष के वकील चार्ल्स डी स्विफ्ट ने आरोप लगाया था। तेरह साल पहले एक साक्षात्कार में, राहुल भट्ट ने कहा था कि वह और उनके जिम ट्रेनर दोस्त विलास, हेडली को "एजेंट हेडली" कहकर बुलाते थे और कहते थे कि वह बहुत बुद्धिमान था और एक गुप्त एजेंट की तरह शब्दजाल का इस्तेमाल करता था। भट्ट ने खुलासा किया कि हेडली ने उसे बताया था कि वह आयरिश मूल का है। राहुल भट्ट ने अपने इंटरव्यू में ये भी आरोप लगाया था कि, पिता महेश भट्ट उनका नाम 'मोहम्मद' रखना चाहते थे, लेकिन उनकी एंग्लो इंडियन माँ इसके लिए नहीं मानी। राहुल का कहना था कि, यदि उनका नाम मोहम्मद होता, तो हो सकता था कि 26/11 हमले के बाद उन्हें भी जेल में डाल दिया जाता।
One of accused of 26/11 was James Coleman Hadley who did Reiki of Mumbai.
— STAR Boy TARUN (@Starboy2079) November 26, 2023
He was arrested by FBI in USA
In Mumbai He was friend of Rahul Bhatt, son of Mahesh Bhatt Same Mahesh Bhatt who inaugurated book on 26/11 RSS ki sajish with Congress leader pic.twitter.com/wyXRplpSf5
हेडली ने अपने 'दोस्त' (भट्ट) को यह भी बताया था कि 2008 में पाकिस्तान के इस्लामाबाद में मैरियट होटल में हुए हमले जैसे हमले भारत में भी हो सकते हैं, जिसमें लगभग 53 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए थे। हालाँकि, भट्ट ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। राहुल भट्ट ने कहा था कि, 'एक बार हम इस्लामाबाद के एक होटल में आतंकवादी हमलों और बम विस्फोट के बारे में बात कर रहे थे। हेडली ने मुझसे कहा कि आस-पास की स्थिति को देखते हुए, आप अपने देश में भी ऐसी ही चीजें होते हुए देख सकते हैं। लेकिन मुझे उनसे कभी कोई नकारात्मक भावना नहीं मिली।''
बता दें कि, 2013 के अमेरिकी न्याय विभाग की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, आतंकी डेविड हेडली को मुंबई और डेनमार्क में आतंकवादी हमलों में उसकी भूमिका के लिए 35 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। हेडली को 2006 में भारत में लक्षित स्थलों की टोह लेने से पहले अपना नाम बदलने के लिए इस्लामिक आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा के अपने आकाओं से 2005 में निर्देश मिले थे। हेडली, जो पाकिस्तान मूल का अमेरिकी नागरिक था, ने फिलाडेल्फिया में अपना नाम बदल लिया था और "लश्कर की ओर से अपनी गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत में खुद को एक अमेरिकी के रूप में चित्रित किया था, जो न तो मुस्लिम था और न ही पाकिस्तानी।"
दाऊद गिलानी उर्फ डेविड हेडली ने पांच बार मुंबई का दौरा किया: सितंबर 2006, फरवरी और सितंबर 2007, और अप्रैल और जुलाई 2008 में। वह अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान संभावित लक्ष्यों के वीडियो और तस्वीरें लेता था और उन्हें लश्कर के आतंकवादियों को देता था। इसके अलावा, हेडली और पाकिस्तान में उसके सहयोगियों ने समुद्र के रास्ते आने वाले हमलावरों की एक टीम के लिए मुंबई में संभावित लैंडिंग स्थलों पर चर्चा की। गौरतलब है कि पाकिस्तानी मूल के कनाडाई आतंकवादी तहव्वुर राणा ने जाली दस्तावेज बनाकर और जमा करके भारत सरकार के खिलाफ धोखाधड़ी की थी। तहव्वुर राणा को मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता पाकिस्तानी आतंकवादी समूह, लश्कर-ए-तैयबा के लिए समर्थन प्रदान करने और पैगंबर मोहम्मद के कार्टून छापने वाले डेनिश अखबार के खिलाफ संभावित आतंकवादी हमले का समर्थन करने के आरोप में शिकागो में 2005 में दोषी ठहराया गया था।
26/11 हमले को हिन्दू आतंकवाद बता रहे थे महेश भट्ट :-
यह भी गौर करने वाली बात है कि, जहाँ एक ओर पाकिस्तानी मूल के आतंकी दाऊद गिलानी उर्फ डेविड हेडली ने महेश भट्ट के बेटे राहुल को हमलों की चेतावनी देते हुए साउथ मुंबई न जाने को कहा था, वहीं इस आतंकी हमले के बाद महेश भट्ट, कांग्रेस के दिग्गज नेता के साथ अजीज बर्नी की किताब का विमोचन करने पहुँच गए थे। उस किताब का शीर्षक था '26/11 RSS का षड्यंत्र', इससे पहले देश में हिन्दू आतंकवाद शब्द उछाला जा चुका था, और जो 10 पाकिस्तानी आतंकी भारत आए थे, उनकी जेबों में भी हिन्दू नाम वाले ID कार्ड थे, कइयों के हाथों में कलावा भी था। हालाँकि, सोचने वाली बात ये है कि, जब आतंकी हमले की जांच पूरी नहीं हुई, एकमात्र जिन्दा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब का बयान सामने नहीं आया, उससे पहले अजीज बर्नी को ये कैसे पता चल गया कि ये हमला पाकिस्तानी आतंकियों ने नहीं बल्कि, RSS ने किया है। ये किताब इतनी जल्दबाज़ी में लॉन्च की गई थी, जैसे हमले से पहले ही लिख दी गई हो।
कसाब के जिंदा पकड़े जाने के बाद भी "26/11 मुंबई हमला RSS की साजिश" नामक किताब का विमोचन करते दिग्विजय सिंह और महेश भट्ट।
— pramila (@pramila2710) January 23, 2023
उसी महेश भट्ट का बेटा राहुल भट्ट आतंकी हेडली का दोस्त निकला।
26/11 में महेश भट्ट और कांग्रेस के रोल की फिर से जांच होनी चाहिए।pic.twitter.com/K1NrLFPSke pic.twitter.com/e6xBqmdnab
दरअसल, पाकिस्तान से आए सभी 10 आतंकियों को अधिक से अधिक लोगों को मारते हुए खुद मर जाने का आदेश था, ताकि पुलिस को केवल उनके शव मिलें और फिर ID कार्ड और हाथ में बंधे कलावे के आधार पर उनकी पहचान भारतीय लोगों के रूप में हो। इससे अपने लोगों का खून बहाने का इल्जाम हिन्दुस्तानियों पर ही आता और हिंदुस्तानी समाज कई धड़ों में बंट जाता, जिससे पाकिस्तान को क्लीन चिट मिल जाती और इसका दोष RSS के सिर मढ़कर सियासी दल अपनी रोटियां सेंकते। हालाँकि, मुंबई पुलिस के कांस्टेबल तुकाराम ओम्ब्ले ने 20 से अधिक गोलियां खाकर भी अजमल कसाब की कालर नहीं छोड़ी और पूछताछ में आतंकी कसाब ने सबकुछ उगल दिया। कसाब से पूछताछ का वीडियो आज भी यूट्यूब पर उपलब्ध है। सच्चाई सामने आने के बाद अजीज बर्नी ने तो अपनी झूठी किताब के लिए माफ़ी मांग ली, लेकिन महेश भट्ट, दिग्विजय सिंह और कांग्रेस ने कभी खेद प्रकट नहीं किया।
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