घर में मंदिर का स्थान और उसकी व्यवस्था से जुड़ी कुछ वास्तु शास्त्र की गलतियाँ गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती हैं, जिनमें आर्थिक संकट, मानसिक तनाव और शारीरिक अस्वस्थता जैसी समस्याएँ शामिल हैं। यदि पूजा घर की दिशा और स्थान सही नहीं होंगे, तो यह परिवार के लिए अशुभ हो सकता है और धार्मिक लाभ नहीं मिल पाता। आइए आपको बताते हैं कि पूजा घर से संबंधित कौन सी बातें वास्तु शास्त्र में गलत मानी जाती हैं और उन पर ध्यान देने से कैसे हम इन समस्याओं से बच सकते हैं।
पूजा घर की सही दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर हमेशा घर की उत्तर दिशा में होना चाहिए। उत्तर दिशा को धन और समृद्धि की दिशा माना जाता है। इस दिशा में पूजा स्थल होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और आर्थिक दृष्टि से भी लाभ होता है। वहीं, दक्षिण और पश्चिम दिशा को पूजा घर के लिए अशुभ माना जाता है। दक्षिण दिशा में पूजा घर होने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है, जिससे विभिन्न प्रकार की परेशानियाँ आ सकती हैं।
खंडित मूर्तियों की स्थापना
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर में कभी भी खंडित मूर्तियाँ नहीं रखनी चाहिए। यह एक गंभीर वास्तु दोष माना जाता है। खंडित मूर्तियों की पूजा करने से देवी-देवता नाराज हो सकते हैं, और घर में दरिद्रता और कष्ट का कारण बन सकती है। पूजा स्थल में केवल पूरी और अचूक मूर्तियाँ रखनी चाहिए। खंडित मूर्तियों का उपयोग सिर्फ उनके सही स्थान पर ही होना चाहिए, जैसे किसी मंदिर में उनकी मरम्मत की जानी चाहिए।
पूजा घर का स्थान
वास्तु शास्त्र में यह भी कहा गया है कि पूजा घर को भंडारगृह, बेडरूम या बेसमेंट में नहीं बनाना चाहिए। इन स्थानों में पूजा घर बनाना न केवल अशुभ माना जाता है, बल्कि यह घर के समग्र ऊर्जा संतुलन को भी प्रभावित करता है। पूजा घर को हमेशा एक खुले, शांति भरे स्थान पर बनाना चाहिए। घर के किसी कोने में या छोटे स्थान में पूजा घर बनाना घर के ऊर्जा प्रवाह को अवरुद्ध करता है और नकारात्मकता को आकर्षित कर सकता है।
पूजा घर में देवताओं की तस्वीरें
पूजा घर में भगवान की तस्वीरें बहुत महत्त्वपूर्ण होती हैं, लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार, एक ही भगवान की अधिक तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए। विशेष रूप से गणेश भगवान की तीन प्रतिमाएँ कभी भी एक ही स्थान पर नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे शुभ कार्यों में विघ्न पड़ सकते हैं। पूजा स्थल में केवल एक ही तस्वीर या मूर्ति रखें और ध्यान रखें कि कोई अन्य वस्तु जैसे कि घड़ी, आईना, या कुछ भी ऐसा न रखें जो पूजा स्थल के ऊर्जा प्रवाह को प्रभावित करे।
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