त्रिपुर भैरवी जयंती मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन किया जाता है, जो कि हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस वर्ष 26 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त देवी भैरवी की पूजा-अर्चना करते हैं तथा उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं। यह पर्व शक्ति की उपासना एवं देवी की महत्त को बताता है। इस दिन कई लोग मंदिरों में जाते हैं, पूजा करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं तथा दान भी करते हैं। माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा उपासना करने से मनुष्य को सफलता, धन संपदा प्राप्ति के साथ सभी भव बंधन दूर हो जाते हैं। ऐसे में इस दिन कुछ चीजों का ध्यान रखना बेहद जरुरी है जो आपको करने से बचना है।
इस दिन क्या ना करें?
इस व्रत को करने से एक दिन पहले चावल का सेवन न करें।
पूजा वाले दिन भी व्रती के लिए चावल का सेवन वर्जित होता है।
इस दिन झूठ बोलने, विवाद करने बहस करने से बचें।
मास, मदिरा, धूम्रपान, आदि का सेवन भी वर्जित होता है।
इसके अलावा, दिन के समय वृत्ति को सोने से बचना चाहिए।
माँ त्रिपुर भैरवी के स्वरूप
शास्त्रों में माँ भैरवी के विभिन्न स्वरूप होते हैं जो इस तरह हैं- त्रिपुरा भैरवी, चैतन्य भैरवी, सिद्ध भैरवी, भुवनेश्वर भैरवी, संपदाप्रद भैरवी, कमलेश्वरी भैरवी, कौलेश्वर भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, नित्याभैरवी, रुद्रभैरवी, भद्र भैरवी एवं षटकुटा भैरवी आदि। देवी भागवत के मुताबिक, महाकाली के उग्र और सौम्य दो रुपों में अनेक रुप धारण करने वाली दस महा-विद्याएं है। माँ का स्वरूप सृष्टि के निर्माण एवं संहार क्रम को जारी रखे हुए है। माँ त्रिपुर भैरवी तमोगुण एवं रजोगुण से परिपूर्ण हैं।
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