बांग्लादेशी हिन्दुओं का समर्थन मत करो, खालिस्तानियों के खिलाफ मत बोलो..! ब्रिटेन सरकार का एजेंडा

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लंदन: ब्रिटेन के किंग ने भारतीय मूल के दो ब्रिटिश नागरिकों से उनकी प्राप्त उपाधियाँ वापस ले ली हैं। इन दो व्यक्तियों में एक हैं रामी रेंजर, जो एक करोड़पति व्यापारी हैं और उन्हें *CBE* (कमांडर ऑफ दि ऑर्डर ऑफ दि ब्रिटिश एम्पायर) की उपाधि प्राप्त थी, जबकि दूसरे हैं अनिल भनोट, जो हिंदू काउंसिल यूके के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं और उन्हें *OBE* (ऑफिसर ऑफ दि ऑर्डर ऑफ दि ब्रिटिश एम्पायर) की उपाधि मिली थी।

यह निर्णय ब्रिटेन के "लंदन गजट" में 6 दिसंबर 2024 को प्रकाशित एक घोषणा में किया गया, जिसमें कहा गया कि इन दोनों व्यक्तियों को अपनी उपाधियाँ बकिंघम पैलेस वापस करनी होंगी। यह कदम इन पर इस्लामोफोबिया से जुड़े आरोपों के बाद उठाया गया है। अनिल भनोट ने बताया कि 2021 में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुई इस्लामी हिंसा के बारे में किए गए उनके ट्वीट को लेकर शिकायत की गई थी। उन्होंने ट्वीट में बताया था कि जब बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों को तोड़ा जा रहा था और हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे थे, तब बीबीसी इस मुद्दे को सही से कवर नहीं कर रहा था, जिससे प्रेरित होकर उन्होंने ट्वीट किया था। उनका कहना था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं था, क्योंकि उनका उद्देश्य केवल पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करना था। 

रामी रेंजर, जिन्हें 2016 में ब्रिटिश व्यापार और सामुदायिक सेवा के लिए *CBE* से सम्मानित किया गया था, ने भी अपनी उपाधी के छिनने पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए कहा कि यह उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इन दोनों के खिलाफ शिकायतें करने वाली समिति के अनुसार, भनोट की शिकायत का स्रोत अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है, लेकिन रेंजर के मामले में यह आरोप लगाया गया कि "सिख फॉर जस्टिस", जो एक आतंकी संगठन है और भारत में प्रतिबंधित है, ने उनकी शिकायत की थी।

इस घटना ने ब्रिटेन में भारतीय समुदाय और खासतौर पर सम्मानित व्यक्तियों के लिए कुछ जटिल परिस्थितियाँ उत्पन्न कर दी हैं, क्योंकि इन उपाधियों का छिनना उनके करियर और प्रतिष्ठा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

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