मुंबई: सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर को सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए अजित पवार की NCP (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) अपनी प्रचार सामग्री में शरद पवार की तस्वीरों और वीडियो का इस्तेमाल न करे। अदालत ने अजित पवार को निर्देश दिया कि वह अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को भी इस बात का पालन करने का निर्देश दें। कोर्ट ने कहा कि अजित पवार की पार्टी को अपनी अलग पहचान के आधार पर चुनाव में उतरना चाहिए, न कि शरद पवार से जुड़े प्रतीकों या तस्वीरों का उपयोग करके।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ कर रही थी। यह सुनवाई शरद पवार द्वारा दाखिल की गई याचिका पर हो रही थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि उनके भतीजे अजित पवार को महाराष्ट्र चुनाव प्रचार में एनसीपी के घड़ी चुनाव चिह्न और शरद पवार के नाम का उपयोग करने से रोका जाए। शरद पवार का कहना था कि उनके और अजित पवार के बीच विचारधारा और नेतृत्व को लेकर मतभेद हैं, इसलिए चुनाव प्रचार में उनके नाम और पहचान का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार को यह निर्देश दिया था कि वह घड़ी के चुनाव चिह्न के बारे में अखबारों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करें, ताकि मतदाताओं को स्पष्ट हो सके कि शरद पवार और अजित पवार के गुट अलग-अलग हैं और दोनों गुट स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का महत्व इसलिए भी है क्योंकि महाराष्ट्र में एनसीपी के दो गुटों के बीच विभाजन हो चुका है, जिसमें शरद पवार की नेतृत्व वाली एनसीपी और अजित पवार की अलग एनसीपी शामिल हैं। अदालत का यह निर्देश मतदाताओं में भ्रम से बचाने के लिए है ताकि मतदाता जान सकें कि एनसीपी के दोनों गुट एक-दूसरे से अलग हैं और दोनों का नेतृत्व भी अलग है।
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