मोबाइल फोन के चोरी होने या गुम होने पर रिपोर्ट करने के लिए दूरसंचार विभाग ने एक वेबसाइट लॉन्च कर दिया है. इस नए वेबसाइट के जरिए मोबाइल यूजर्स आसानी से मोबाइल फोन को ट्रेस कर सकेंगे. दूरसंचार विभाग ने CEIR (सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर) पोर्टल को लॉन्च कर दिया है. इस प्लेटफॉर्म को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सबसे पहले महाराष्ट्र के लिए लॉन्च किया गया है. बाद में इस प्रोजेक्ट को देश भर के मोबाइल यूजर्स के लिए उपलब्ध कराया जाएंगा.
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इस पायलट प्रोजेक्ट पर 2017 से दूरसंचार विभाग (DoT) काम कर रही है. इस प्रोजेक्ट में ग्लोबल IMEI (इन्टरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी) नंबर को फीड किया जा रहा है, जिसकी मदद से क्लोन किए गए IMEI को ट्रेस किया जा सकेगा. केन्द्र सरकार ने 2017 में इस पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा की जिसके तहत यूजर्स CEIR प्लेटफॉर्म पर अपने खोए हुए मोबाइल को रिपोर्ट कर सकेंगे. इस पोर्टल पर दर्ज डाटाबेस के आधार पर मोबाइल फोन चोरी होने या गुम होने पर ट्रेस किया जा सकेगा.दूरसंचार मंत्रालय ने 2017 से 15 डिजीट की ग्लोबल IMEI नंबर को इस डाटाबेस में फीड करना शुरू कर दिया. इस प्लेटफॉर्म पर यूजर्स अपने खोए हुए या चोरी हुए मोबाइल नंबर को ब्लॉक कर सकेंगे, जिसकी वजह से यूजर्स को किसी भी तरह की वित्तीय हानी न पहुंचे. आजकल यूजर्स अपने स्मार्टफोन में बैंक डिटेल्स से लेकर कई तरह की निजी जानकारियों को रखते हैं. ऐसे में इस पोर्टल के शुरू हो जाने के बाद से चोरी किए गए
स्मार्टफोन को एक्सेस करना बहुत मुश्किल है.
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CEIR किस प्रकार करता है काम
इस नए पोर्टल पर दूरसंचार विभाग के सभी हैंडसेट्स की जानकारी उपलब्ध है. इसमें हैंडसेट को व्हाइट, ग्रे और ब्लैकलिस्ट किया गया है. इस लिस्ट में व्हाइट IMEI वाले मोबाइल को आप इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही, ग्रे लिस्ट वाले डिवाइस स्टैंडर्ड के मुताबिक तो नहीं हैं लेकिन इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। ग्रे लिस्ट वाले डिवाइस को मॉनिटर किया जाएगा. वहीं, ब्लैकलिस्ट वाले IMEI को यूजर्स इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे ब्लैकलिस्ट IMEI वाले डिवाइस को मोबाइल नेटवर्क कनेक्ट करने का एक्सेस नहीं होगा.मोबाइल फोन गुम होने या चोरी होने के बाद यूजर्स को FIR दर्ज करानी होगी. इसके लिए DoT ने 14422 हेल्पलाइन नंबर जारी की है. पुलिस कम्प्लेंट के बाद डिपार्टमेंट उस डिवाइस को ब्लैकलिस्ट कर देगी. CEIR के पास दुनियाभर के हर डिवाइस का IMEI के बारे में जानकारी होगी, जिसकी वजह से डिवाइस की क्लोनिंग को रोकी जा सकेगी.
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