डबल मीनिंग शायरियां

डबल मीनिंग शायरियां
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1. अपना अपना ज़ायका है गालिब,
किसी को पेग मार के नींद आती है तो किसी को मु# मार के.


2. ज़रूरी नही है कि किसी को नापसंद करने की कोई वजह हो,
कुछ भो#डी के पैदा ही होते है गालियां खाने के लिए.

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