नई दिल्ली: पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा (Nusrat Mirza) द्वारा भारत आकर ISI के लिए जासूसी करने के मामले में एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है। ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के प्रमुख डॉ. आदिश अग्रवाल ने एक विस्तृत बयान जारी करते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पर जानकारी छिपाने और झूठ बोलने का इल्जाम लगाया है, साथ ही सरकार से इसकी जाँच कराए जाने की माँग की है। बता दें कि डॉ. अग्रवाल इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट्स के प्रमुख भी हैं।
#BREAKING: Fresh twist in #HamidAnsari controversy relating to Pakistani spy journalist. One Event organiser Dr. Adish Aggarwala issues detailed statement from London. Says, Vice President Ansari’s secretariat wanted Spy Nusrat Mirza to attend conference. Demands inquiry by Govt. pic.twitter.com/lGtVvklQXr
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) July 14, 2022
बयान में बताया गया है कि अंसारी का कार्यालय चाहता था कि मिर्जा को सम्मेलन में आमंत्रित किया जाए। इसे स्वीकार नहीं किए जाने पर वे खफा भी हो गए थे। डॉ. अग्रवाल ने जिस सम्मेलन को लेकर यह दावा किया है, उसका आयोजन दिल्ली के विज्ञान भवन में 11 और 12 दिसंबर 2010 को किया गया था। डॉ अग्रवाल ने आतंकवाद के मुद्दे पर जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम द्वारा 27 अक्टूबर 2009 को दिल्ली के ओबेरॉय होटल में आयोजित किए गए एक सम्मेलन की तस्वीर भी साझा की है। इसमें अंसारी और भारत की जासूसी करने वाले मिर्जा एक साथ स्टेज शेयर करते हुए नज़र आ रहे हैं। बताया गया है कि इस सम्मेलन में हामिद अंसारी, दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेता फारूक अब्दुल्ला समेत कई मुस्लिम नेता पहुंचे थे। डॉ अग्रवाल ने आरोप लगाते हुए कहा है कि हामिद अंसारी और उनके मित्र जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम के सम्मेलन में पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा के साथ दोस्ती बढ़ा रहे थे।
Image issued by Dr. Adish C. Aggarwala, President, International Council of Jurists Mr. Hamid Ansari & Mr. Nusrat Mirza (marked in red circles) sharing dais #HamidAnsari #NusratMirza #PressRelease pic.twitter.com/tE1XKQmiZY
— Dr. Adish C Aggarwala (@adishcaggarwala) July 14, 2022
बयान में कहा गया है कि कि ऐसा लगता है कि पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सरकारी एजेंसियों और जनता को भ्रमित करने के लिए जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम के सम्मेलन के संबंध में खुलासा नहीं किया है। ऐसे में सरकार से आग्रह है कि वह इस मामले की तफ्तीश करे, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और जासूसी से जुड़ा हुआ मामला है। बयान में आगे कहा गया है कि अंसारी और रमेश ने सिर्फ 11 और 12 दिसंबर 2010 को विज्ञान भवन में आयोजित न्यायविदों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का ही जिक्र किया है। इस सम्मेलन में अंसारी शामिल हुए थे। मगर, नुसरत मिर्जा इसमें नहीं बुलाए गए थे। यहाँ तक कि नुसरत मिर्जा ने भी अपने इंटरव्यू में इस सम्मेलन का जिक्र नहीं किया है।
डॉ. अग्रवाल ने दावा करते हुए कहा है कि जब इस सम्मेलन का आयोजन हो रहा था तो तत्कालीन हामिद अंसारी को इसमें शामिल होने का न्योता दिया गया था। अशोक दीवान उस वक़्त उपराष्ट्रपति सचिवालय के निदेशक थे। डॉ अग्रवाल ने अपने बयान में कहा है कि, 'दीवान ने मुझे बताया था कि उपराष्ट्रपति (हामिद अंसारी) चाहते हैं कि पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा को सम्मेलन में बुलाया जाए। किन्तु हम इस आग्रह को स्वीकार नहीं कर सके, क्योंकि मिर्जा पाकिस्तानी मीडिया से थे और हमने पाकिस्तान से जजों या वकीलों को सम्मेलन में नहीं बुलाया था।'
डॉ अग्रवाल के मुताबिक, जब दीवान को यह बात पता चली कि हमने मिर्जा को नहीं बुलाया है, तो उन्होंने सम्मेलन से एक दिन मुझे फोन कर नाराजगी जाहिर की थी। यह भी बताया गया था कि मिर्जा को न बुलाना हामिद अंसारी को बुरा लगा है और अब वे सिर्फ बीस मिनट के लिए सम्मेलन में शामिल होंगे। डॉ अग्रवाल ने बताया कि शुरु में अंसारी ने एक घंटे के लिए कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए सहमति दी थी।
नुसरत मिर्जा ने की थी भारत की जासूसी :-
बता दें कि पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा (Nusrat Mirza) ने 10 जुलाई, 2022 को एक साक्षात्कार में कई हैरान करने वाले खुलासे किए थे। पाकिस्तानी पत्रकार और YouTuber शकील चौधरी (Shakil Chaudhary) को दिए इंटरव्यू में नुरसत मिर्जा ने बताया था कि उन्होंने 2005 से 2011 के बीच भारत दौरे के दौरान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी की थीं। उन्हें पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और ‘मिल्ली गैजेट’ अखबार के मालिक जफरुल इस्लाम खान ने उन्हें भारत आने का न्योता दिया था। मिर्जा ने यह भी कहा था कि, उस वक़्त भारत में 56 मुस्लिम सांसद थे, जो ही उनके (मिर्जा के) मददगार थे।
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