नई दिल्ली: आज भारत के वीर शिरोमणि महराणा प्रताप की जयंती है। आज ही के दिन 1540 को महाराणा ने मेवाड़ की पुण्यधरा पर जन्म लिया था। महाराणा प्रताप का जिक्र हो और उनके द्वारा लड़े गए हल्दीघाटी के युद्ध का नाम न आए, तो महाप्रतापी प्रताप की कहानी कुछ अधूरी सी लगती है। आज तक हम लोग अपनी इतिहास की किताबों में हम यही पढ़ते आए हैं कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा ने अदम्य शौर्य का परिचय दिया था, लेकिन जीत मुगल बादशाह अकबर को मिली थी, लेकिन इस झूठी कहानी की अब पोल खुल चुकी है। एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है राजस्थान के मध्यकालीन इतिहास का सबसे चर्चित हल्दीघाटी युद्ध अकबर ने नहीं बल्कि महाराणा प्रताप ने जीता था.
वर्ष 1576 में हुए इस भीषण युद्ध में अकबर को पीछे हटना पड़ा था और आखिर जीत महाराणा प्रताप की हुई. यह दावा राजस्थान सरकार की तरफ से किया गया था. इसके पीछे सरकार ने इतिहासकार डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा के ताजा अध्ययन का हवाला दिया गया है. डॉ. शर्मा ने अपने शोध सबूतों के साथ प्रताप को इस युद्ध का विजेता करार दिया है. उल्लेखनीय है कि राजस्थान की धरा पर 446 साल पहले जो भीषण युद्ध आज तक बेनतीजा माना जाता रहा था (या कुछ जगह अकबर को विजेता बताया जाता था), अब राजस्थान की भाजपा सरकार इसका परिणाम बदलने जा रही है. दरअसल, 2017 में राजस्थान विश्वविद्यालय सिंडिकेट की बैठक में भाजपा MLA और राज्य सरकार के प्रतिनिधि मोहनलाल गुप्ता ने इस जंग में महाराणा प्रताप की विजय का मुद्दा उठाया था. उन्होंने एक अध्ययन का हवाला देते हुए कॉलेज शिक्षा पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप की इस विजय के जिक्र किए जाने की मांग रखी है.
राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में उदयपुर के मीरा कन्या महाविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहासकार डॉक्टर चन्द्रशेखर शर्मा ने यह शोध किया है. महाराणा प्रताप के समकालीन ताम्र पत्रों को आधार बताते हुए डॉ. शर्मा ने हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा की विजय का दावा किया है. डॉ. शर्मा के अनुसार, 18 जून 1576 ई. को हल्दीघाटी की जंग मेवाड़ तथा मुगलों के मध्य हुआ था. अभी तक युद्ध अनिर्णायक बताया जाता रहा है. मगर असल में इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने जीत दर्ज की थी. डॉ. शर्मा ने विजय को दर्शाते प्रमाण राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में जमा करा दिए हैं.
बता दें कि महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर के बीच 18 जून 1576 में हुए हल्टीघाटी युद्ध का परिणाम लगभग साढ़े चार सौ साल बाद अब सामने आया है. डॉ. शर्मा ने अपने अध्ययन में प्रताप की विजय को दर्शाते ताम्र पत्रों से संबंधित प्रमाण जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में जमा कराए गए हैं. उनके मुताबिक, युद्ध के बाद अगले एक साल तक महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के आस-पास के गांवों की जमीनों के पट्टे ताम्र पत्र के तौर पर जारी किए थे. इन पर एकलिंगनाथ के दीवान प्रताप के दस्तखत थे. उस वक़्त जमीनों के पट्टे जारी करने का अधिकार केवल राजा को ही होता था. प्रताप की जीत का दावा करने संबंधी ताम्र पत्रों से जुड़े प्रमाण जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में जमा करा दिए गए है.
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