नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहा सीमा विवाद अब सुलझता हुआ दिख रहा है। चीन की ओर से कहा गया है कि उसने अपनी सेना को पूर्वी लद्दाख के चार स्थानों से हटा लिया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स की बैठक के दौरान एक अलग चर्चा की, जिसमें सीमा विवाद पर हुई हालिया प्रगति पर विचार-विमर्श किया गया।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने जानकारी दी कि दोनों देशों की सेनाओं ने चार स्थानों से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है, जिसमें गलवान घाटी भी शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत-चीन सीमा पर स्थिति फिलहाल स्थिर और नियंत्रण में है। इससे पहले, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी जिनेवा में कहा था कि चीन के साथ सैनिकों की वापसी से संबंधित लगभग 75 प्रतिशत समस्याओं का समाधान हो चुका है, लेकिन अब भी सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण का मुद्दा बना हुआ है। डोभाल और वांग की बैठक के बाद यह भी सहमति बनी कि दोनों देश सीमा पर स्थिरता बनाए रखने और विश्वास बढ़ाने के लिए लगातार संवाद जारी रखेंगे।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी करते हुए कहा कि दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में शेष विवादित क्षेत्रों से भी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए तत्परता दिखाई है। डोभाल ने इस बात पर जोर दिया कि सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता द्विपक्षीय संबंधों की सामान्य स्थिति की वापसी के लिए जरूरी है।
हालांकि, भारत और चीन के बीच मई 2020 से जारी सैन्य गतिरोध अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। गलवान घाटी में जून 2020 में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में गिरावट आई थी, जो दशकों में सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। तब से अब तक दोनों देशों के बीच 21 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन सीमा विवाद का पूर्ण समाधान नहीं हो पाया है। भारत का स्पष्ट रुख है कि जब तक सीमा पर शांति नहीं होती, तब तक चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
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