पहली बार पांडवों के लिए द्रौपदी ने बनाया था गोलगप्पा, क्या आप जानते हैं इतिहास

पहली बार पांडवों के लिए द्रौपदी ने बनाया था गोलगप्पा, क्या आप जानते हैं इतिहास
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गोलगप्पा, पानीपुरी, फुल्की, गुपचुप, पानी के बताशे या पुचका नाम अलग-अलग है लेकिन स्वाद सबका एक ही है। आज के समय में गोलगप्पे भारत में काफी पसंद किया जाने वाला स्ट्रीट फूड है। इसको पानीपुरी (Panipuri) के नाम से जानते हैं और इसका जो पानी होता है,उसका टेस्ट लाजवाब होता है। यह आपको हर महीने में मिलेगा लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये आया कहाँ से? जी दरअसल इसका इतिहास भी महाभारत काल की एक महिला से जुड़ा है और इसकी पौराणिक कहानियां (Mythological Stories) भी प्रचलित हैं। आइए हम आपको बताते हैं। पहली बार किसने बनाए गोलगप्पे- गोलगप्पों की शुरुआत महाभारत काल (Mahabharata Period) से हुई।

कहा जाता है पहली बार द्रौपदी ने पांडवों के लिए टेस्टी पानीपुरी बनाई थी। कहते हैं जब पांडवों से शादी के बाद द्रौपदी अपने ससुराल पहुंची तो पांडवों की मां कुंती ने बहू द्रौपदी की परीक्षा लेने की सोची। उस वक्त पांडवों का वनवास चल रहा था और घर पर ज्यादा कुछ खाने को भी नहीं थे तो कुंती देखना चाहती थीं कि उनकी बहू किस तरह अच्छे से घर संभाल सकती हैं। एक दिन की बात है कि कुंती ने द्रौपदी को कुछ बचे हुए आलू, थोड़ा आटा और मसाले देते हुए कुछ स्वादिष्ट बनाने को कहा। कुछ ऐसा जिससे पांडवों का पेट भर जाए और स्वाद भी आ जाए।

द्रौपदी ने इसी आटे की पूरी बनाई और उसमें आलू और तीखा पानी भरकर पांचों पांडवों के सामने परोसा। गोलगप्पे खाकर पांडव खुश हो गए और उन्हें यह व्यंजन पसंद भी आया और उनका पेट भी भर गया। इससे कुंती भी काफी प्रसन्न हो गईं। माना जाता है यहीं से गोलगप्पे बनाने की शुरुआत हुई औ इसे बनाने का आइडिया मिला।

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