रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (वीएसएचओआरएडीएस) मिसाइल का किया सफल परीक्षण

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (वीएसएचओआरएडीएस) मिसाइल का किया सफल परीक्षण
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28 और 29 फरवरी 2024 को, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (वीएसएचओआरएडीएस) मिसाइल के दो सफल उड़ान परीक्षण किए। ये परीक्षण जमीन से संचालित एक हल्के और पोर्टेबल लॉन्चर से किए गए थे।

परीक्षण का उद्देश्य:

  • विभिन्न अवरोधन परिदृश्यों में उच्च गति वाले मानवरहित हवाई लक्ष्यों को नष्ट करना।

परीक्षण के परिणाम:

  • दोनों परीक्षणों में, मिसाइलों ने सफलतापूर्वक लक्ष्यों को इंटरसेप्ट किया और उन्हें नष्ट कर दिया, मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा करते हुए।

वीएसएचओआरएडीएस मिसाइल:

  • यह एक मानव-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (एमएएनपीएडी) है जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की विभिन्न प्रयोगशालाओं और भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
  • मिसाइल में अल्प प्रतिक्रिया नियंत्रण प्रणाली (आरसीएस) और एकीकृत विमानिकी सहित कई नवीन तकनीकों का उपयोग किया गया है।
  • यह दोहरी थ्रस्ट ठोस मोटर द्वारा संचालित है।
  • इसका उद्देश्य सीमित दूरी और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले हवाई खतरों को बेअसर करना है।
  • मिसाइल और लॉन्चर को आसानी से ले जाने और संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

उड़ान परीक्षण में शामिल:

  • भारतीय सेना के अधिकारी
  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की विभिन्न प्रयोगशालाओं के वरिष्ठ वैज्ञानिक
  • रक्षा उद्योग जगत के भागीदार

रक्षा मंत्री की प्रतिक्रिया:

  • रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, भारतीय सेना और रक्षा उद्योग जगत को बधाई दी।
  • उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीकों से लैस यह नई मिसाइल प्रणाली हमारे सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से और अधिक मजबूत बनाएगी।

रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष की प्रतिक्रिया:

  • उन्होंने मिसाइल के डिजाइन और विकास में शामिल पूरी टीम को बधाई दी।

वीएसएचओआरएडीएस मिसाइल का सफल परीक्षण भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिसाइल भारतीय सेना को कम ऊंचाई वाले हवाई खतरों से बेहतर सुरक्षा प्रदान करेगी।

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