काफी समय से बॉलीवुड एक्टर आयुष्मान खुराना फिल्म 'ड्रीम गर्ल' का इंतज़ार कर रहे फैंस को इंतज़ार खत्म हुआ और फिल्म रिलीज़ हुई. इस बार वह फर्स्ट टाइम डायरेक्टर राज शांडिल्य के निर्देशन की ड्रीम गर्ल में नजर आ रहे हैं और यहां भी उन्होंने अपने रोल के साथ एक्सपेरिमेंट किया है और लड़की की आवाज में मनोरंजन भी. चलिए जानते हैं कैसी है कहानी.
कलाकार : आयुष्मान खुराना,नुसरत भरूचा,अन्नू कपूर,मनजोत सिंह,विजय राज,निधि बिष्ट,राज भंसाली,राजेश शर्मा,अभिषेक बनर्जी
निर्देशक : राज शांडिल्य
मूवी टाइप : Romance,Comedy,Drama
अवधि : 2 घंटा 12 मिनट
रेटिंग : 4/5
कहानी: फिल्म शुरू होती है, मथुरा में अपने पिता जगजीत सिंह (अन्नू कपूर) के साथ रहने वाला युवा करम सिंह (आयुष्मान खुराना) बेरोजगारी से परेशान है. पिता परचून की दुकान चलाते हैं, मगर उनका घर गिरवी रखा हुआ है और उन पर कई बैंकों के लोन भी हैं. करम सिंह के साथ एक खास बात ये है कि वह बचपन से ही लड़की की आवाज बहुत ही खूबसूरती से निकालता है और यही वजह है कि बचपन से ही मोहल्ले में होने वाली रामलीला में उसे सीता और कृष्णलीला में राधा का रोल दिया जाता है. यानि शुरू से ही उन्हें लड़कियों वाले किरदार मिलते थे. अपनी भूमिकाओं से वह पैसे भी कमा लेता है और उसे पहचान भी खूब मिलती है, इसके बावजूद जगजीत सिंह को बेटे की इस कला से आपत्ति है. वह चाहते हैं कि करम सिंह कोई सम्मानित नौकरी पा जाए.
नौकरी की ऐसी ही तलाश में करम सिंह को छोटू (राजेश शर्मा) के कॉल सेंटर में मोटी तनख्वाह पर जॉब तो मिल जाती है, मगर शर्त यह है कि उसे लड़की की आवाज निकालकर क्लाइंट्स से मीठी-मीठी प्यार भरी बातें करनी होंगी. कर्ज और घर की जरूरतों को ध्यान में रखकर वह पूजा की आवाज बनने को राजी हो जाता है. उसका यह राज उसके दोस्त स्माइली (मनजोत सिंह) के अलावा उसकी मंगेतर माही (नुसरत भरूचा) तक को पता नहीं. कॉल सेंटर में पूजा बनकर प्यार भरी बातें करने वाले करम की आवाज का जादू पुलिस वाले राजपाल (विजय राज ), माही के भाई महेंद्र (अभिषेक बनर्जी), किशोर टोटो (राज भंसाली), रोमा (निधि बिष्ट) और तो और खुद उसके अपने पिता जगजीत सिंह के सिर इस कदर चढ़कर बोलता है कि सभी उसके इश्क में पागल होकर शादी करने को उतावले हो उठते हैं. अब आगे क्या होता है इसे आप फिल्म में देख सकते हैं.
रिव्यू: पहली बार निर्देशन की बागडोर संभालनेवाले राज शांडिल्य ने साफ-सुथरी कॉमिडी दी है. फेमस लेखक होने के नाते उन्होंने कहानी में हास्य और मनोरंजन के पल जुटाए हैं, मगर इसके बावजूद फर्स्ट हाफ उतना कसा हुआ नजर नहीं आता. शुरू में फिल्म थोड़ा स्लो होती है लेकिन सेकंड हाफ में कहानी अपनी रफ़्तार पकड़ती है और प्री-क्लाइमैक्स में कॉमिडी ऑफ एरर के कारण हंसाते हैं. इसके अलावा स्क्रीनप्ले में भी कई जगह पर झोल नजर आता है. निर्देशक ने आयुष्मान-नुशरत के लव ट्रैक को डेवलप करने में भी खूब जल्दबाजी की है. फिल्म के अंत में राज शांडिल्य ने यह मेसेज देने की कोशिश की है कि सोशल मीडिया अनगिनत दोस्तों के दौर में हर आदमी अकेला है, मगर उनका यह मेसेज दिल को छूता नहीं है.
एक्टिंग : एक्टर आयुष्मान खुराना एक बार फिर से फिल्म में हिलेरियस साबित हुए हैं. पूजा के रूप में उनका वॉइस मोड्युलेशन और बॉडी लैंग्वेज हंसा-हंसा कर लोट-पोट कर देता है. उन्होंने दी हुई भूमिका को बेहतर ढंग से निभाया है. नुसरत भरूचा को स्क्रीन पर बहुत ज्यादा मौका नहीं मिला है, इसके बावजूद उन्होंने अच्छा काम किया है. इनके अलावा सहयोगी भूमिकाओं में अन्नू कपूर ने जगजीत सिंह की भूमिका में छक कर मनोरंजन किया है. पूजा के प्यार में मजनू बने अन्नू कपूर की कॉमिक टाइमिंग देखने योग्य है. मनजोत सिंह और विजय राज भी हंसाने में पीछे नहीं रहे हैं. अन्य भूमिकाओं में अभिषेक बनर्जी, निधि बिष्ट, राज भंसाली और दादी बनी सीनियार अभिनेत्री ने अच्छा काम किया है. मीत ब्रदर्स के संगीत में 'दिल का टेलिफोन', 'राधे राधे' गाने पसंद किए जा रहे हैं. इनकी कोरियॉग्राफी भी दर्शनीय है.
क्यों देखें: कॉमिक फिल्मों के शौकीन और आयुष्मान को एक नए रूप में देखने के लिए यह फिल्म देख सकते हैं.
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