करियर ऑप्शन चूसे करना किसी के लिए आसान नहीं होता इसरो के दो युवा वैज्ञानिक पर आज हर किसी को नाज है। इनमें एक किराने की दुकान चलाया करते थे, तो दूसरे अपने पिता की हत्या के सदमे से उबर रहे थे। फिर भी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वैज्ञानिक बनने के अपने सपने को पूरा किया। अभी हाल में इसरो ने एक साथ जिन 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा है, उस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में ये दोनों युवा भी टीम का हिस्सा थे। विषम परिस्थितियों के बावजूद छत्तीसगढ़ के इन दोनों युवा वैज्ञानिकों ने साबित कर दिखाया कि अगर इरादे और हौसले बुलंद हों, तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक, देश को विभिन्न क्षेत्रों में अभी करीब 90 लाख वैज्ञानिकों की जरूरत है। यदि आप भी ऐसी ही जिद रखते हैं और समाज, राष्ट्र हित में कुछ करना चाहते हैं, तो वैज्ञानिक बनकर इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। आए दिन हो रहे अनुसंधानों, इसरो, डीआरडीओ आदि के अभियानों ने युवाओं के लिए इस क्षेत्र में आगे आने और पहचान बनाने की उम्मीदें बढ़ा दी हैं।
ध्यान दीं वाली बात ये है की पिछले 8-10 सालों में विज्ञान की पढ़ाई को लेकर तस्वीर काफी बदली है। प्राइमरी और मिडल लेवल पर विज्ञान शिक्षण पर जोर दिया जा रहा है। बच्चे भी शोध की तरफ बढ़ रहे हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान में आगे आ रहे हैं। सरकार भी नए अनुसंधानों पर काफी खर्च कर रही है। वैज्ञानिक अनुसंधान में संभावनाएं बहुत हैं। दैनिक जीवन में भी इसका बहुत उपयोग है। हमारे आसपास बहुत सी ऐसी समस्याएं हैं, जिनका समाधान हम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से ढूंढ़ सकते हैं। अपार संभावनाओं को देखते हुए अगर हम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में शोध कार्य करें, तो हमारा यह काम मानव कल्याण और समाज-राष्ट्र के हित में होगा। युवा पीसीएम और बॉयोलॉजी विषयों में मेहनत से पढ़ाई करके रक्षा क्षेत्र, अंतरिक्ष, परमाणु अनुसंधान, जैव प्रौद्योगिकी, बायो टेक्नोलॉजी, पृथ्वी विज्ञान, मौसम विज्ञान, पर्यावरण,कृषि और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक बन सकते हैं।
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