रायपुर : देश के किसी भी सूबे का किसान सुखी नहीं है. अब छत्तीसगढ़ को सूखा राहत के नाम पर केंद्र ने मुट्ठी भर सिक्के थमाए है, और वो भी फ़िलहाल किसानों तक नहीं पहुंचे है. केन्द्र में भाजपा सरकार होने के बाद दावे किए जा रहे थे कि राज्य को अधिक से अधिक सहायता मिलेगी, लेकिन जो रकम मिली है वो काफी कम है. केन्द्र ने खाना पूर्ति के नाम पर तीन राज्यों को सूखा राहत की रकम जारी की है. इसमें छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान शामिल है. मगर यह रकम इतनी है कि चुनावी भाषणों में भी इसका जिक्र करने में राजनेताओं को परहेज करना होगा. छत्तीसगढ़ सरकार ने 27 में से 21 जिलों को सूखा ग्रस्त घोषित किया था. सर्वक्षेण के बाद उम्मीद थी कि किसानों को राहत के लायक राशि मिल ही जाएगी.
सूखा राहत में छत्तीसगढ़ ने 4 हजार 401 करोड़ रुपए मांगे थे. इनमें 1500 करोड़ रुपए रोजगार गारंटी के लिए, इसके अलावा 1307 करोड़ रुपए किसानों की फसल क्षतिपूर्ति के लिए मांगी गई थी. राज्य के 96 तहसीलों में सरकार कई तरह की योजनाएं चलाना चाहती थी. उसके लिए भी राशि मांगी गई थी. राज्य को राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि से दस फीसदी रकम भी नहीं मिली. यह रकम किसानों को फसलो की क्षतिपूर्ति के लिए मांगी गई 1307 करोड़ की भी लगभग एक चौथाई है. अब कांग्रेस ने इस पर मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस के संचार प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी का कहना है कि प्रदेश के किसानों के साथ छलावा किया गया है.
मामले में सरकार के मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय का कहना है कि दोबारा अपनी बात केन्द्र सरकार के समक्ष रखी जाएगी. किसान कही का भी हो चाहे महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, या उत्तर प्रदेश उसके हिस्से में सरकारी नीतियों की मार के आलावा कुछ भी नहीं आ रहा है. गौर करने वाली बात यह भी है की इन सभी राज्यों में बीजेपी की सरकार है, जिन्हे फ़िलहाल किसानों की आत्महत्या के बढ़ते आंकड़ों से भी कोई परेशानी नहीं है.
उत्तर प्रदेश में किसान जल समाधी को मजबूर
छत्तीसगढ़ में 150 किसानों को गिरफ्तार किया गया
किसान आंदोलन: डब्बावाला ने दिया अन्नदाता को भोजन