ढाका: बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद से ही भयानक उथल-पुथल जारी है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीश बदल दिए गए हैं, वहीं पूर्व पीएम खालिदा जिया पर से मुकदमा वापस लेकर, उन्हें रिहा कर दिया गया है। बता दें कि BNP प्रमुख खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के मामले में 17 साल जेल की सजा हुई थी। भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक के अनुसार, बांग्लादेश खालिदा जिया के कार्यकाल (2001-2005) के दौरान दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश था। लेकिन, अब वे बरी हो चुकी हैं और माना जा रहा है कि, सत्ता में उनका जबरदस्त दखल रहेगा। वहीं, बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख बने मोहम्मद यूनुस पर से भी मामले वापस हो चुके हैं। पहले उन्हें श्रम कानून के उल्लंघन मामले में बरी किया गया और फिर रिश्वतखोरी के मामले में बरी कर दिया गया। यही नहीं, बांग्लादेश में आतंकी भी जेल से भगाए जा रहे हैं और कई आतंक समर्थकों पर से मामले वापस लिए जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने कुछ आतंक समर्थकों को बरी करने की मंजूरी दे दी है, जिन्हें 10 ट्रक हथियार (उल्फा को भेजे जाने वाले हथियारों और विस्फोटकों की खेप) की बरामदगी में शामिल होने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। यह मामला कानून एवं संसदीय कार्य मंत्रालय के सलाहकार आसिफ नजरुल (BNP के ज्ञात समर्थक और कट्टर भारत विरोधी) द्वारा शुरू किया गया है। अब यह मामला अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति मुहम्मद शहाबुद्दीन के पास भेजा जाएगा।
सजा पाए कैदियों में शामिल कुछ मुख्य नाम हैं :-
1. मोहम्मद लुत्फुज्जमां बाबर, BNP-जमात गठबंधन सरकार में गृह मंत्रालय के राज्य मंत्री (2001-2006),
2. अब्दुस सलाम पिंटू, उप मंत्री BNP-जमात गठबंधन सरकार (2001-2006),
3. तारिक रहमान, BNP के कार्यवाहक अध्यक्ष,
4. मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) रज्जाकुल हैदर चौधरी, BNP-जमात गठबंधन सरकार (2001-2006) के दौरान बल खुफिया निदेशालय (DGFI) के तत्कालीन महानिदेशक,
5. विंग कमांडर (बर्खास्त) शहाब उद्दीन, BNP-जमात गठबंधन सरकार (2001-2006) के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा खुफिया (NSI) के तत्कालीन निदेशक।
इस बीच, सरकार ने BNP, जमात और कट्टरपंथी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम के नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने का फैसला किया है, जबकि मुहम्मद यूनुस को धीरे-धीरे सभी पिछले आरोपों और दोषसिद्धि से बरी किया जा रहा है, जबकि तथ्य यह है कि अधिकांश मामले मजबूत सबूतों के आधार पर दर्ज किए गए थे। इस बीच, बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस को भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (ACC) द्वारा ग्रामीण दूरसंचार श्रमिकों और कर्मचारियों के कल्याण कोष से धन के दुरुपयोग के मामले में दर्ज रिश्वत के मामले में बरी कर दिया गया।
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, ढाका विशेष न्यायाधीश न्यायालय-4 के न्यायमूर्ति मोहम्मद रबीउल आलम ने रविवार को यह फैसला सुनाया, जब एसीसी ने दंड प्रक्रिया संहिता के तहत दर्ज मामले को वापस लेने की मांग की। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण शिक्षा नामक एक गैर-लाभकारी संगठन की स्वास्थ्य सलाहकार और प्रबंध निदेशक नूरजहां बेगम भी भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम यूनुस को श्रम कानून उल्लंघन के एक अन्य मामले में बरी किए जाने के चार दिन बाद उठाया गया है। 7 अगस्त को श्रम अपीलीय न्यायाधिकरण ने श्रम कानून के उल्लंघन के मामले में यूनुस की छह महीने की जेल की सजा को पलट दिया।
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