दिलीप सिंह वर्मा की रिपोर्ट
झाबुआ। मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले में चार मासूम बच्चों को अंध विश्वास के चलते गर्म सलाखों से तांत्रिक के द्वारा दागे जाने का मामला प्रकाश में आया है। प्राप्त जानकारी अनुसार मामला लगभग बीस दिन पुराना है। प्राप्त जानकारी अनुसार ग्राम पिल्याखदान के सात माह के बच्चे अजय, गांव हडुमतियां की मेशरा उम्र 2 वर्ष तथा गांव समोई की कृष्णा उम्र 6 माह एवं गांव खेडिया, पिटोल के राजवीर को गर्म सलाखों से दागने के कारण गंभीर बिमार होने पर झाबुआ जिला चिकिल्सालय में भर्ती कराया गया है। इन बच्चों का ईलाज डॉ. आईएस चौहान के द्वारा किया जा रहा है।
ज्ञातव्य है कि झाबुआ आदिवासी प्रधान जिला है और यहां पर आदिवासीयों में बच्चे पैदा होने पर उन्हे डाम दिया जाता है। डाम देना अर्थात गर्म लोहे की किसी वस्तु जैसे सरिया या फिर चिमटे से दागना को कहते है। आदिवासीयों में ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चों को बिमारी नहीं होती है। अक्सर आदिवासी बच्चे पैदा होने पर उन्हे सर्दी, खांसी या निमोनिया होने की दशा में गांव के बडवे, भोपें या फिर ओझा, तांत्रिक के पास ले जाते है और बच्चों को डाम दिलवाते है। कई बार ऐसा करने पर बच्चों की जान पर बन आती है।
ऐसा आदिवासी अंधविश्वास के चलते करते है। ऐसी अनेकों बार की घटनाएं हो चुकी है। डॉ. आईएस चौहान का कहना है की इस प्रकार के मामले अस्पताल में बडी संख्या में आते रहते है। आदिवासी परिवारों को समझाईश दी जाती है, लेकिन फिर भी वे मानते नहीं है। आदिवासी समाज में इन कुरितियों को समाप्त करने के लिये जन जागरण चलाया जाना आवश्यक है। अन्यथा ऐसे मासूम बच्चों के जीवन पर आये दिन संकट पैदा होता रहेगा तथा डर व भय के कारण आदिवासी इन तांत्रिकों के खिलाफ भी किसी प्रकार की पुलिस में रिपोर्ट आदि दर्ज नहीं कराते है, जिसके चलते इन तांत्रिकों का धंधा बंद नहीं होता है।
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