आज के समय में लोगों को ऐसे रोग समय से पहले हो जाते हैं, जो कभी बुढ़ापे की निशानी मानी जाती थीं। सामान्य रूप से इसका कारण खराब जीवनशैली मानी जाती है, किन्तु ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो कई बार इसके कारण हमारी कुंडली में ग्रहों के खराब हालात भी होते है। अगर इन ग्रहों को शांत कर दिया जाए तो उस परेशानी में बहुत हद तक राहत मिल सकती है।
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि अगर शनि की साढ़ेसाती, ढैया अथवा महादशा चल रही है या शनि कुंडली में कमजोर स्थिति में है तो मनुष्य का नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है, साथ ही हड्डियों सबन्धी समस्यां उसे कम आयु पर सताने लगती हैं। नर्वस सिस्टम के कारण मस्तिष्क संबन्धी रोग, साइटिका तथा नसों में आक्सीजन की कमी जैसी परेशानियां होती हैं। इसके अतिरिक्त हड्डियों से जुड़े रोग जैसे गठिया, घुटने, कूल्हे, कोहनी आदि जोड़ों का खराब होना आदि दिक्कतें परेशान करती हैं। शनि से संबंधित सभी रोग लंबे वक़्त तक परेशान करने वाले होते हैं। ऐसे में इस ग्रह की शांति बेहद आवश्यक है।
क्या करें:-
शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं एवं काले तिल डालकर सरसों के तेल का दीया जलाएं। हनुमान चालीसा, शनिमंत्र का जाप करें। शनिवार के दिन काला तिल, काला कपड़ा, छिलके वाली उड़द की दाल व सरसों का तेल अपनी सामर्थ्य के मुताबिक दान करें।
सूर्य के कारण होते ये रोग:-
कुंडली में सूर्य की कमजोर स्थिति के कारण मनुष्य को हृदय रोग, थायरॉयड, आंखों के रोग और मस्तिष्क संबंधी कई परेशानियां होती हैं।
क्या करें:-
रविवार के दिन सूर्य को लाल रोली, लाल पुष्प तथा गुड़ डालकर अर्घ्य दें। आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। रविवार के दिन आक का वृष लगाएं तथा उसकी देखभाल करें। लाल कपड़ा, मूंगा, गुड़, केसर आदि लाल चीज को रविवार के दिन दान करें। पिता की सेवा करें क्योंकि पिता को सूर्य का कारक माना जाता है।
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