भारतीय हिंदू धर्म दुर्गा पूजा का बहुत महत्व है और इसे हम दुर्गोत्सव के नाम से भी जानते हैं इसके साथ ही शारदोत्सव दक्षिण एशिया में मनाया जाने वाला एक वार्षिक हिन्दू पर्व है जिसमें हिन्दू देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। इसमें छः दिनों को महालय, षष्ठी, महा सप्तमी, महा अष्टमी, महा नवमीं और विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा को मनाये जाने की तिथियाँ पारम्परिक हिन्दू पंचांग के अनुसार आती हैं तथा इस पर्व से सम्बंधित पखवाड़े को देवी पक्ष, देवी पखवाड़ा के नाम से जाना जाता है। दुर्गा अष्टमी या महाअष्टमी दस दिन लंबे दुर्गा पूजा उत्सव के सबसे शुभ दिन में से एक है। भारत में इस पवित्र अवसर पर कई लोगों द्वारा उपवास किया जाता है। इस दिन अस्त्र पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन देवी दुर्गा के हथियारों की पूजा की जाती है। यह दिन वीरा अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन हथियारों या मार्शल आर्ट्स का उपयोग करने के लिए देखा जाता है
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दुर्गा पूजा का पर्व हिन्दू देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है। अतः दुर्गा पूजा का पर्व बुराई पर भलाई की विजय के रूप में भी माना जाता है। दुर्गा पूजा भारतीय राज्यों असम, बिहार, झारखण्ड, मणिपुर, ओडिशा, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में व्यापक रूप से मनाया जाता है जहाँ इस समय पांच-दिन की वार्षिक छुट्टी रहती है।
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दुर्गा पूजा के दौरान दुर्गा अष्टमी का महत्व बहुत ज्यादा बताया गया है ज्यादा घरों में दुर्गा पूजा अष्टमी और नवमीं पर होती है और इस दिन सभी घरों में कुलदेवी का पूजन किया जाता है। बंगाली हिन्दू और आसामी हिन्दुओं का बाहुल्य वाले क्षेत्रों पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा में यह वर्ष का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। यह न केवल सबसे बड़ा हिन्दू उत्सव है बल्कि यह बंगाली हिन्दू समाज में सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से सबसे महत्त्वपूर्ण उत्सव भी है।
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