आप सभी जानते ही हैं कि इस समय चैत्र नवरात्रि चल रही है और आज इस पावन पर्व का आखिरी दिन है. ऐसे में नवरात्र का समापन दुर्गा नवमी के साथ हो जाता है. वहीँ आज नवमी है और इसी दिन कई लोग अपना व्रत खोलते हैं. इस दिन घरों में हवन किये जाते हैं साथ ही कन्याओं को पूजा जाता है. आप सभी को बता दें कि इस बार चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन ही राम नवमी का उत्सव भी मनाया जा रहा है और माना जाता है कि इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस दिन हवन करने के वह मंत्र जो आपको लाभ देंगे.
हवन सामग्री: पहले तो आपको बता दें कि दुर्गा नवमी के दिन सबसे पहले तो मां सिद्धिदात्री की विधि विधान के साथ पूजा कर लें. उसके बाद हवन इत्यादि कर पूजा संपन्न करें. हवन सामग्री के लिए एक सूखा नारियल या गोला, कलावा या लाल रंग का कपड़ा और एक हवन कुंड. इसके अतिरिक्त आम की लकड़ी, तना और पत्ता, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, पीपल का तना और छाल, बेल, नीम, पलाश, गूलर की छाल, कर्पूर, तिल, चावल, लौंग, गाय का घी, गुग्गल, लोभान, इलायची, शक्कर और जौ.
हवन विधि: इसके लिए हवन कुंड को पूजा स्थल पर ही किसी साफ स्थान पर स्थापित करें. अब इसके बाद हवन सामग्री को किसी बड़े पात्र में ठीक से मिला लें. इसके बाद आम की सूखी लकड़ी को कपूर की सहायता से जला लें. अब अग्नि प्रज्जवलित करने के बाद इन मंत्रों के साथ घर के सदस्य बारी बारी से आहुति देना शुरू करें.
ओम गणेशाय नम: स्वाहा
ओम गौरियाय नम: स्वाहा
ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा
ओम दुर्गाय नम: स्वाहा
ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा
ओम हनुमते नम: स्वाहा
ओम भैरवाय नम: स्वाहा
ओम कुल देवताय नम: स्वाहा
ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा
ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा
ओम विष्णुवे नम: स्वाहा
ओम शिवाय नम: स्वाहा
ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा
स्वधा नमस्तुति स्वाहा.
ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा
ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा.
ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते.
अब अंत में नारियल में कलावा या फिर लाल कपड़ा बांध लें. उस पर पूरी, खीर, पान, सुपारी, लौंग, बतासा आदि स्थापित करके उसे हवन कुंड के बीचोबीच रख दें. फिर बचे हुए हवन सामग्री को समेट पर पूर्ण आहुति मंत्र का उच्चारण करें- ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा. और उनको हवन कुंड में डाल दें. अंत में मां दुर्गा की आरती उतारें.
ज्योतिष के अनुसार जानिए कब खत्म होगा कोरोना का प्रकोप?