कोरोना संक्रमण के बीच रेलवे ने इस सप्ताह राजस्थान के एक ऑटिस्टिक किशोर और मध्य प्रदेश के लीवर प्रत्यारोपण से उबरने वाले एक लड़के के लिए दवाओं का परिवहन किया. इससे पहले उत्तर-पश्चिम रेलवे ने 10 अप्रैल को मुंबई में एक परिवार को 20 लीटर ऊंटनी का दूध पहुंचाया था, क्योंकि एक महिला ने अपने बेटे को बकरी, गाय और भैंस के दूध से एलर्जी होने के बारे में ट्वीट किया था. इस घटना से प्रभावित अहमदाबाद के रहने वाले हितेश शर्मा ने भी अजमेर में रहने वाले अपने किशोर चचेरे भाई के लिए रेलवे से मदद मांगी और तुरंत प्रतिक्रिया को उन्होंने चमत्कार करार दिया. अजमेर में रहने वाला किशोर भी ऑटिस्टिक है और उसे दवाओं की सख्त जरूरत थी. लॉकडाउन के चलते हितेश शर्मा कूरियर से दवा नहीं भेज सकते थे, जैसा कि वे अक्सर किया करते हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शर्मा ने अहमदाबाद से बताया कि यह अविश्वसनीय है. मैंने रेल अधिकारी से मदद मांगी और 15 घंटे के भीतर दवाएं पार्सल ट्रेन से मेरे चचेरे भाई के पास अजमेर पहुंच गई. अगर मेरे साथ ऐसा नहीं होता, तो मुझे विश्वास नहीं होता.
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अपने बयान मे आगे शर्मा ने कहा कि उन्होंने रेलवे की नोडल अधिकारियों की सूची देखी. उन्हें पता चला कि आशीष उजलायन पश्चिमी रेलवे के अहमदाबाद मंडल में सहायक वाणिज्यिक प्रबंधक के तौर पर कार्यरत हैं. हमने उनसे मदद मांगी और उन्होंने कहा कि हमसे जो भी मदद बन पड़ेगी हम करेंगे. शर्मा ने 15 अप्रैल को शाम छह बजे दवाओं का पार्सल जमा किया और वह अगले दिन 11 बज अजमेर पहुंच गया.
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