केस की सुनवाई के दौरान MP हाईकोर्ट के जज की टिप्पणी, कहा- 'पढ़े-लिखे लोग पीते हैं scotch whiskey...'

केस की सुनवाई के दौरान MP हाईकोर्ट के जज की टिप्पणी, कहा- 'पढ़े-लिखे लोग पीते हैं scotch whiskey...'
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भोपाल: मध्य-प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि पढ़े-लिखे लोग ही स्कॉच व्हिस्की (scotch whiskey) पीते हैं। अदालत ने यह टिप्पणी तब की, जब कोर्ट में शराब कंपनियों से जुड़े एक मामले की सुनवाई चल रही थी। कोर्ट ने कहा कि स्कॉच व्हिस्की पीने वाले लोग अलग-अलग ब्रांड की शराब की बोतलों के बीच सरलता से अंतर कर सकते हैं।

यह विवाद शराब बनाने वाली लोकप्रिय कंपनी पेरनोड रिकॉर्ड और मध्य प्रदेश के इंदौर की जेके इंटरप्राइजेज के बीच चल रहा था। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, पेरनोड रिकॉर्ड ने कोर्ट से अपील की थी कि जेके एंटरप्राइजेज को लंदन प्राइड के नाम की शराब बनाने से रोका जाए। हालांकि, सुनवाई के चलते कोर्ट ने इस बात से इनकार कर दिया कि वह जेके एंटरप्राइजेज को लंदन प्राइड नाम की शराब बनाने से रोकेगी। अदालत ने पेरनोड रिकॉर्ड की याचिका को भी खारिज कर दिया। दरअसल, अदालत पहुंची पेरनोड रिकॉर्ड ने कोर्ट को बताया था कि जेके एंटरप्राइजेज ने 'ब्लेंडर्स प्राइड' के ट्रेडमार्क और इंपीरियल ब्लू की बोतल के डिजाइन का उल्लंघन किया है। कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि जेके इंटरप्राइजेज उनके ग्राहकों को धोखा देने के लिए लंदन प्राइड नाम के ट्रेडमार्क का उपयोग कर रही है। उनहोंने यह भी कहा कि वे 1995 से ब्लेंडर्स प्राइड ट्रेडमार्क का उपयोग कर रहे हैं। इससे पहले इंदौर की एक कोर्ट ने भी जेके एंटरप्राइजेज की अपील को खारिज कर दिया था। 

याचिका में यह भी दावा किया गया था कि जेके एंटरप्राइजेज पैकेजिंग तथा ट्रेडमार्क का गलत उपयोग कर लेबल लगाकर अपनी व्हिस्की बेच रहा है। यह भी दावा किया गया कि जेके कंपनी की यह बोतल इंपीरियल ब्लू व्हिस्की के समान है। अदालत ने यह भी कहा कि बोतलों का आकार अलग-अलग है। उनके बक्सों के सिलसिले में कोर्ट ने कहा कि ग्राहक आसानी से अंतर समझ सकता है। पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता के ट्रेडमार्क के साथ आरोपी का कोई भी निशान मेल नहीं खाता है। सुनवाई में कोर्ट ने यह भी नोटिस किया कि पेरनोड रिकार्ड के पास उसके इंपीरियल ब्लू मार्क या गुंबद के आकार समेत डिजाइन के किसी भी हिस्से में उपयोग किए गए रंगों के सिलसिले में कोई पंजीकरण नहीं है। अदालत ने आगे कहा, प्रतिवादी ने 'प्राइड' शब्द के उपयोग पर आपत्ति  जताई है, लेकिन इसके कारण कोई गलतफहमी नहीं हो सकती।

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