भारत में लॉकडाउन की इस कालावधि को लेकर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने बताया कि मेरी दिनचर्या और आहार-विहार पूरी तरह प्राकृतिक है. वैसे भी मैं हमेशा ही नियमित, संयमित और आध्यात्मिक दिनचर्या का ही पालन करता हूं. हमारे यहां दीर्घकाल से ही ऐसे आहार-विहार की परंपरा रही है, जो ऋतु के अनुकूल होने के साथ ही प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला हो.
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उन्होने आगे बताया कि अन्य साधकों की तरह मैं भी ध्यान और स्वध्याय साधना से अपनी संकल्प एवं आंतरिक शक्ति को जगाता हूं. यह ऐसी दिनचर्या है, जो तन एवं मन की दुर्बलता का निर्मूलन करती है.’यह कहना है श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज का.
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इस मामले को लेकर स्वामी अवधेशानंद कहते हैं कि कोरोना की चुनौतियों के बीच लॉकडाउन के चलते दिन बिताना और भी कठिन है. ऐसी विषम परिस्थिति में धैर्य एवं संयम ही हमारा सबसे बड़ा साथी है. मैं लगभग तीन सप्ताह की इस अवधि में जप-ध्यान और योग के द्वारा अपने एकांत को साध रहा हूं. वही, आपको भी यह समझना होगा कि शांति, समाधान और स्थायी प्रसन्नता की खोज की सहज उपलब्धि एकांत से ही संभव है. यह अनुभवजन्य बात है कि स्वस्थ, सकारात्मक और पारमार्थिक चिंतन से परिपूर्ण एकांत समृद्ध सृजन का आधार बनता है. वे बताते हैं, मैंने हमेशा अनुशासन और तत्परतापूर्वक आत्म सुधार को तवच्जो दी है.यही मेरे जीवन की दिव्य औषधि है. ...और हां! आप अपने आत्मीयजनों, जिनके लिए आम दिनों में समय नहीं निकाल पाते, उनके साथ इस कालखंड में रिश्तों को जीकर देखिए. यकीनन, आपको घर तीर्थ लगने लगेगा.
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