दिल्ली : देश में लगातार बढ़ रहे प्रदुषण को देखते हुए दिवाली पर इस बार दिल्ली सरकार ने पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी थी. रोक के बावजूद दिल्लीवासी अपनी हरकतों से बाज नहीं आये और देश की राजधानी में लाखों की तादाद में पटाखे फोड़े गए. दिल्ली में इतनी संख्या में पटाखों को फोड़े जाने से इनसे निकलने वाले जहरीले धुएं का असर कुछ दिन बाद दिल्ली के आसमान में फैली धुंध की चादर के रूप में देखने को मिला. हर साल देश की राजधानी और इसके आस-पास के राज्यों का यही आलम रहता है. जहरीली हवा के कारण घातक बीमारियां भी पनपती हैं जिसकी रोकथाम के लिए सरकार ने अब 'ई-पटाखे' लाने की तैयारी कर ली है.
जी हाँ देश में इको-फ्रेंडली पटाखे की मुहीम छिड़ चुकी है और भारत के मुख्य सरकारी रिसर्च इंस्टिट्यूट में इन दिनों पूरी तरह इलेक्ट्रॉनिक पटाखे बनाने के लिए वैज्ञानिक नई तकनीक विकसित करने में लगे हुए हैं. मतलब यह कि अब से पटाखों में आवाज होगी, रंग और रोशनी भी होगी लेकिन धुंआ नहीं होगा. वहीं इन 'ई-पटाखों' से आग लगने का खतरा भी ना के बराबर रह जायेगा.
इन पटाखों की तकनीक विकसित करने के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और केंद्रीय विज्ञान और उद्योग मंत्रालय मिलकर कार्य कर रहे हैं. प्रदुषण से बचने और लोगों का मजा किरकिरा होने से बचाने के लिए सरकार ने इस तरह का कदम उठाया है. CSIR के इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष शानतनू चौधरी ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि - "बिजली से चलने वाले ये उपकरण बिलकुल आम पटाखों की तरह होंगे. इनमें फूटने की आवाज आएगी, तेज रोशनी होगी, अलग-अलग रंग निकलेंगे, लेकिन कोई धुआं नहीं होगा क्योंकि इन उपकरणों में कोई केमिकल रिएक्शन नहीं होगा." वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि आगामी 6 माह में इस तरह के पटाखों का नमूना पेश कर दिया जाएगा और इसकी टेस्टिंग की जाएगी और इस साल की दीवाली में लोग ई-पटाखों का इस्तेमाल कर सकेगें.
दिल्ली के प्रदूषण के आगे एंटी स्माॅग गन तक बेअसर