आज देश राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा है। आज देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुए आज 75 वर्ष पूरे हो गए हैं और हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आप सभी को बता दें कि राष्ट्रीय पर्व के मौकों पर फिजा में उमंग का एक अलग ही रंग घुला दिखाई दे रहा है और हो भी क्यों न! आखिर देश की आजादी की बात है। ऐसे में इस दौरान देशभक्ति गाने चलाये जा रहे हैं लेकिन इनमें से हर एक देशभक्ति गीत को लिखे जाने के पीछे भी एक खूबसूरत कहानी हैं। आज हम आपको ए मेरे वतन के लोगों की कहानी बताने जा रहे है।
सिगरेट की डब्बी पर लिखा गया था 'ए मेरे वतन के लोगों।।'- यह देशभक्ति के गानो में सबसे आगे है और सुनने वालों को यह गाना भावुक कर जाता है। इस गाने को कवि प्रदीप ने लिखा था और स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी ने गाया था। यह गाना वर्ष 1963 में लिखा गया था। कहा जाता है यह लोकप्रिय गीत भारत-चीन युद्ध के बाद लिखा गया था। सामने आने वाली रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत-चीन युद्ध के बाद जब दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने का विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ तो उसके लिए कवि प्रदीप से एक खास गीत लिखने के लिए कहा गया। ऐसे में एक दिन प्रदीप सुबह के वक्त समुद्र के किनारे टहल रहे थे। तभी उनके दिमाग में इस गाने की कुछ लाइनें आईं।
वहीं उस दौरान उनके पास न तो कोई कलम थी न कागज। उन्होने एक मुसाफिर से कलम मांगी और सिगरेट की डिब्बी के फॉइल पेपर को कागज बनाकर उस पर गाना लिख लिया। जी हाँ और बाद में उन्होंने यह गाना पूरा किया। इस गाने को लता मंगेशकर ने स्वर दिए। हालांकि, लता दी ने पहले तो इस गाने को गाने से इनकार ही कर दिया था, लेकिन फिर काफी मनाए जाने के बाद वह राजी हुईं। आपको बता दें कि सिगरेट पर लिखे इस गाने ने जो इतिहास रचा है।
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